एक ऐसा मुल्क, जिस पर यह कहावत पूरी तरह फिट बैठता है कि- घर में नहीं दाने, अम्मा गई भुनाने. दरअशल, अपने वाशिंदों को दो वक्त की रोटी का जुगाड़ बैठाने में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय विरादरी से भीख का ही भरोसा है, लेकिन वह अपनी आदत से बाज नहीं आता. कोरोना संकट के दौरान वह देश में लॉकडाउन करें या ना करे, इसे लेकर मुल्क के वजीरे आजम इमरान खान कंफ्यूजन के शिकार है. वह मानते हैं कि लॉकडाउन कर दिया गया तो पाकिस्तान की गुरबत में जी रही आवाम को रोटी मय्यसर नहीं होगी, लेकिन वह इसका उपाय करने के बजाय जम्मू-कश्मीर का वह भाग जो पाकिस्तान ने कब्जाया हुआ है, उसके एक हिस्से गिलगित-बल्टिस्तान में चुनाव कराने के मंसूबे बना रहा है.
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने 30 जनवरी को दिये अपने एक फैसले में कहा है कि वहाँ चुनाव कराए जाने चाहिए और इस बीच वहाँ एक अंतरिम सरकार का गठन करना चाहिए. और यही एक फ़ैसला है, जो गिलगित बल्तिस्तान को लेकर पहली बार हुआ है. आम तौर भी पाकिस्तान में नए चुनाव से पहले एक अंतरिम सरकार का गठन होता है, जो चुनाव की निगरानी करती है.
इस पर भारत सरकार ने सीधे-सीधे पाकिस्तान से कहा है कि चुनाव कराने की बात तो दूर की है, वह गिलगित बल्टिस्तान को अविलंब खाली करें, जिस पर उसने अवैध कब्जा कर रखा है. जम्मू-कश्मीर, गिलगित बल्टिस्तान सहित लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है. भारत सरकार ने पाकिस्तान के राजनयिक को तलब अपना फरमान सुना दिया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले पर भारत की स्थिति साल 1994 में संसद में पास हुए प्रस्ताव में नज़र आई थी जिसे सदन ने सर्वसम्मति से पास कर दिया था.
भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों की ‘स्थिति में बदलाव’ लाने के प्रयासों के लिए पाकिस्तान के समक्ष विरोध दर्ज कराया और उससे उन्हें खाली करने को कहा. अगर पाकिस्तान अपनी फितरत से बाज नहीं आता है तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘भारत ने पाकिस्तान के वरिष्ठ राजनयिक को आपत्ति पत्र जारी करते हुए तथाकथित गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर पाकिस्तान के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है.’ यह स्पष्ट रूप से बता दिया गया है कि केंद्र शासित प्रदेश पूरा जम्मू- कश्मीर और लद्दाख जिसमें गिलगित और बाल्टिस्तान भी शामिल हैं, वह पूरी तरह से कानूनी और अपरिवर्तनीय विलय के तहत भारत का अभिन्न अंग हैं.’
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान के हालिया कदम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के कुछ हिस्सों पर उसके ‘अवैध कब्जे’ को छुपा नहीं सकते हैं और न ही इस पर पर्दा डाल सकते हैं कि पिछले सात दशकों से इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के ‘मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया, शोषण किया गया और उन्हें स्वतंत्रता से वंचित’ रखा गया.
बता दें कि पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल को गिलगित बाल्टिस्तान के एडवोकेट जनरल को नोटिस जारी कर कहा है कि प्रांतीय सरकार को यह निर्देश है कि वह गिलगित बाल्टिस्तान में चुनावों के लिए वह साल 2018 में आए आदेश में जरूरी बदलाव कर सूबे में कार्यकारी सरकार तैयार करे. वहीं 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने यहां चुनाव कराने का आदेश दिया है. पाकिस्तान की इस हरकत के बाद भारत ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. इससे लगता है कि इस कोरोना संक्रमण के दौर में भी पाकिस्तान-भारत के बाच टकराव की स्थिति बन सकती है. स्थिति को गंभीरता को देखते हुए विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के मंसूबे कभी पूरे नहीं होंगे. सरकार स्थिति पर नजर रख रही है और हर जरूरी कदम उठाने के लिए तैयार है.