आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) के आगमन से कर्मचारियों का काम घटने की बजाय बढ़ता हुआ क्यों दिख रहा है, यह एक महत्वपूर्ण सवाल बन गया है। 2022 में जब चैटजीपीटी चर्चा में आया, तो एक पीआर एजेंसी के संस्थापक अनुराग गर्ग ने इसे अपने कार्यालय में शामिल करने को लेकर उत्साह जताया। उनका मानना था कि AI के उपयोग से उनकी एजेंसी को अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले एक बढ़त मिलेगी। उन्होंने अपनी पूरी टीम को AI टूल्स का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया।
एजेंसी में क्लाइंट्स के लिए स्टोरी आइडियाज़, मीडिया प्रपोज़ल्स, इंटरव्यू नोट्स, और मीटिंग विवरण तैयार करना शामिल था। गर्ग को उम्मीद थी कि ये AI टूल्स उनके कर्मचारियों का काम आसान कर देंगे। लेकिन, असल में इसके विपरीत हुआ। AI टूल्स ने उनके कर्मचारियों का काम बढ़ा दिया। कर्मचारियों को पहले टूल के लिए सटीक जानकारी तैयार करनी पड़ती थी, फिर उस जानकारी को जाँचने और सुधारने में भी समय लगता था। कई बार टूल्स के अपडेट्स ने कर्मचारियों को फिर से सीखने के लिए मजबूर किया, जिससे अतिरिक्त समय और परेशानी हुई।
गर्ग का अनुभव यह था कि AI टूल्स से काम आसान होने के बजाय जटिल हो गया। उनके अनुसार, "इन टूल्स के कारण काम का समय दोगुना हो गया।" उन्होंने अपनी टीम से कहा कि AI का उपयोग केवल तब करें जब वह सच में आवश्यक हो। नतीजतन, उनकी टीम ने रिसर्च के लिए AI का उपयोग शुरू किया, और अब सब पहले से अधिक संतुष्ट हैं।
AI टूल्स के उपयोग से उत्पन्न तनाव का उल्लेख कई अध्ययनों में भी किया गया है। 'अपवर्क' नामक एक फ्रीलांसिंग प्लेटफ़ार्म ने 2,500 कर्मचारियों का सर्वे किया, जिसमें 96% ने कहा कि उन्हें AI से प्रोडक्टिविटी बढ़ने की उम्मीद थी। लेकिन, 77% ने माना कि AI के कारण उनकी प्रोडक्टिविटी में कमी आई और काम बढ़ गया।
इसके अलावा, असाना द्वारा किए गए एक अध्ययन में 9,615 कर्मचारियों ने वर्कप्लेस पर 6 से 15 ऐप्स का उपयोग करने की बात कही, जिनमें से 15% ने कहा कि इन टूल्स की अधिकता के कारण वे महत्वपूर्ण मैसेज और नोटिफिकेशन मिस कर देते हैं। लॉस एंजिल्स में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया के प्रोफ़ेसर केसी होम्स के अनुसार, एक से ज़्यादा टूल्स को सीखने और उनका उपयोग करने में समय खर्च होता है, जिससे कर्मचारियों में तनाव बढ़ता है।
वकील से कोच बनीं लिआ स्टील ने भी इस समस्या पर प्रकाश डाला। उनके अनुसार, कई लीगल प्रोफेशनल्स महसूस कर रहे हैं कि AI टूल्स के कारण उनसे अधिक प्रोडक्टिविटी की उम्मीद की जा रही है, जिससे उनका काम का बोझ बढ़ गया है।
AI टूल्स के उपयोग को लेकर कंपनियों को बेहतर समर्थन प्रदान करने की जरूरत है। लॉ सोसायटी ऑफ इंग्लैंड और वेल्स ने भी स्वीकार किया कि वकीलों को AI जैसी नई तकनीक का सही से उपयोग करने के लिए अधिक सहयोग मिलना चाहिए। एलिसिया नवारो, एक ऑनलाइन प्लेटफार्म 'फ्लॉन' की सीईओ, का मानना है कि AI टूल्स प्रोडक्टिविटी बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं, लेकिन इसके लिए सही प्रशिक्षण और फिल्टरिंग की जरूरत होती है। विशेष रूप से छोटी कंपनियों के लिए, जिनके पास सीमित संसाधन होते हैं, AI एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
इस प्रकार, AI टूल्स का उपयोग तभी फायदेमंद हो सकता है, जब इसका उपयोग रणनीतिक ढंग से किया जाए, और कर्मचारियों को इसका सही प्रशिक्षण मिले। अन्यथा, यह प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के बजाय काम को और जटिल बना सकता है।