गर्भनाल कब काटी जानी चाहिए?

श्रीराजेश

 |  02 Jan 2020 |   104
Culttoday

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बीते साल नवंबर महीने की शुरुआत में एक एडवाइज़री जारी की.

मंत्रालय के विशेष सचिव एवं मिशन निदेशक (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) मनोज झालानी द्वारा जारी की गई इस एडवाइज़री में गर्भनाल को बांधने और काटने (क्लैंपिंग) से जुड़ी सलाह दी गई है.

यह एडवाइज़री सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेजी गई है. इस एडवाइज़री में डिलीवरी के बाद प्लेसेंटा के ख़ुद बाहर आने, उसके बाद क्लैंपिंग और उससे जुड़े फ़ायदों के बारे में सलाह दी गई है.

हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पर कॉर्ड( गर्भनाल) क्लैपिंग को लेकर ऐसी कोई सलाह नहीं है लेकिन डब्ल्यूएचओ भी यह मानता है कि कॉर्ड क्लैंपिंग कम से कम एक मिनट बाद ही की जानी चाहिए.

WHO के मुताबिक, जन्म के वक़्त नवजात शिशु गर्भनाल (अंबिकल कॉर्ड) के द्वारा मां से जुड़ा रहता है. जोकि प्लेसेंटा (इसे भ्रूण की पोषक थैली भी कहते हैं जिसके एक सिरे से गर्भनाल जुड़ी होती है और दूसरा सिरा बच्चे की नाभि से) का एक हिस्सा है.

आमतौर पर बच्चे को प्लेसेंटा से अलग करने लिए अंबिकल कॉर्ड को बांधकर काट दिया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, अमूमन कॉर्ड क्लैंम्पिंग (गर्भनाल को बांधना और काटना) के लिए 60 सेकंड का वक़्त लिया जाता है. इसे अर्ली कॉर्ड क्लैंम्पिंग कहते हैं. लेकिन कई बार इसके लिए 60 सेकंड यानी एक मिनट से ज़्यादा का समय भी लिया जाता है, जिसे डिलेड कॉर्ड क्लैंम्पिंग कहते हैं.

नाल को जब देर से काटते हैं तो नवजात बच्चे और प्लेसेंटा के बीच खून का प्रवाह बना रहता है, जिससे बच्चे में आयरन का स्तर बढ़ता है और इसका असर बच्चे के जन्म के छह महीने तक बना रहता है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक़, ये उन नवजात बच्चों के लिए ज़्यादा प्रभावी साबित होगा जिन्हें जन्म के बाद अच्छा खानपान मिलना मुश्किल हो.विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह है कि गर्भनाल को एक मिनट से पहले नहीं काटने से बच्चे और उसके साथ ही मां की सेहत भी बेहतर रहती है.

साल 2012 में ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चे के जन्म को लेकर कुछ सलाह जारी की थीं. जिसके अनुसार, अगर बच्चे को जन्म के बाद वेंटिलेशन की ज़रूरत नहीं है तो कॉर्ड को एक मिनट से पहले नहीं काटा जाना चाहिए.

अगर बच्चे को जन्म के बाद वेंटिलेशन की ज़रूरत है तो कॉर्ड को तुरंत काटा जाना चाहिए और बच्चे को ज़रूरी वेंटिलेशन दिया जाना चाहिए. इसमें देरी करने की सलाह डब्ल्यूएचओ बिल्कुल नहीं देता.

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के राष्ट्रीय सलाहकार प्रोफ़ेसर डॉ. अरुण कुमार सिंह ने कॉर्ड क्लैंपिग पर शोध किया है. वो यह तो मानते हैं कि डिलेड क्लैंपिंग फ़ायदेमंद है लेकिन वो प्लेसेंटा के सेल्फ़ डिस्चार्ज (नेचुरल तरीक़े से बाहर आने) की भी वक़ालत करते हैं.


RECENT NEWS

तकनीक ही बनेगा तारनहार
संजय श्रीवास्तव |  02 Sep 2025  |  17
जलवायु शरणार्थीः अगला वैश्विक संकट
दिव्या पांचाल |  30 Jun 2025  |  62
आकाशगामी भारत
कल्ट करंट डेस्क |  30 Jun 2025  |  42
To contribute an article to CULT CURRENT or enquire about us, please write to cultcurrent@gmail.com . If you want to comment on an article, please post your comment on the relevant story page.
All content © Cult Current, unless otherwise noted or attributed. CULT CURRENT is published by the URJAS MEDIA VENTURE, this is registered under UDHYOG AADHAR-UDYAM-WB-14-0119166 (Govt. of India)