केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने छह एक्सपर्ट्स की एक कमेटी बनाई है. यह कमेटी यह पता लगाएगी कि मुस्लिम हज यात्रियों को दी जाने वाली सब्सिडी व्यवहारिक और असरदार है या नहीं? गौरतलब है कि 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रथा को बंद करने के लिए कहा था.
वहीं, एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी हज सब्सिडी खत्म करने के पक्ष में हैं. उन्होंने कहा कि सब्सिडी के नाम पर 690 करोड़ रुपए बीमार एयरलाइन को दिए जाते हैं. इसका फायदा मुस्लिम तीर्थयात्रियों को नहीं मिलता है.
ओवैसी ने कहा कि इस रकम को मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर खर्च किया जाए. उन्होंने कहा कि इस सब्सिडी को खत्म कर देना चाहिए क्योंकि मुस्लिमों को अपनी धर्म यात्रा के लिए सरकार से मदद की जरूरत नहीं है.
हालांकि, उन्होंने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की उस घोषणा का स्वागत किया, जिसमें कहा गया था कि भारत के सालाना हज कोटे में 34,500 का इजाफा करते हुए इसकी लिमिट 1.70 लाख कर दी गई है.
उधर, जाने-माने गीतकार और पूर्व राज्य सभा सांसद जावेद अख्तर ने इस सब्सिडी को खत्म करने की मांग की है. उन्होंने टि्वटर पर लिखा कि आखिरकार सरकार ने एक कमिटी बनाने का फैसला किया, जो हज सब्सिडी पर विचार करेगी. अगर इस सब्सिडी को पहले खत्म कर दिया जाता तो बेहतर होता.