भारतीय भाषा परिषद और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा प्रेमचंद जयंती के अवसर पर साहित्य संवाद का आयोजन किया गया। ‘प्रेमचन्द का भारत’ विषय पर बोलते हुए परिषद के निदेशक डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि आज की सबसे बड़ी चिंता यह है कि आज ‘भारत’ की गूँज कम हो गई है जबकि धर्म, जातीयता, प्रांतीयता की गूँज बढ़ रही है। आज चारों ओर आर्थिक उदारीकरण और सांस्कृतिक अनुदारीकरण का चलन बढ़ रहा है। प्रेमचंद ने जिस भारत की कल्पना की थी, उस भारत के निर्माण का काम अभी भी बाक़ी है और इसे आप नौजवानों को ही आगे बढ़ कर करना है। इस अवसर पर चर्चित कवि आनंद गुप्ता ने ‘प्रेम में रेत होना’, ‘जुबली ब्रिज’, ‘रोता हुआ बच्चा’, ‘प्रेम में पड़ी लड़की’, ‘सावन का प्रेमपत्र’, राहुल शर्मा ने ‘दीवारों से पूछो’, ‘गाजा’, ‘रिपोर्ट’, ‘फुटपाथ’, ‘मुक्तिबोध’ और मधु सिंह ने ‘टाला का पुल’, ‘खालीपन’, ‘प्रश्न’, ‘आदिवासी’, ‘सुनो लड़कियों’ जैसी कविताओं का पाठ किया। इनकी कविताओं में स्त्री, प्रेम, प्रकृति और समाज के अलग-अलग शेड्स दिखाई दिए। राहुल शर्मा ने 'गाजा','मुक्तिबोध','फुटपाथ,' 'रिपोर्ट' आदि कविताएं सुनाईं। तीनों आमंत्रित कवियों ने कविता की रचना प्रक्रिया, कवि -दृष्टि, अनुभूति और संवेदना के साथ लेखकीय प्रतिबद्धता और भूमिका संबंधी प्रश्नों पर अपना पक्ष रखा। संवाद सत्र के अंतर्गत कवियों से मृत्युंजय श्रीवास्तव, अनीता राय, सूर्य देव रॉय, सुषमा कुमारी, चंदन भगत, फरहान अजीज और संजना जायसवाल ने सवाल किया।
समीक्षा करते हुए वरिष्ठ कवयित्री मंजु श्रीवास्तव ने कहा कि कविता संवादहीनता के इस दौर में हमें संवाद करना सिखाती है और समाज में हो रहे अन्याय के ख़िलाफ़ हमें मुखर होना भी सिखाती है। डॉ.इतु सिंह के कहा कि कविता लिखी जाने के बाद कवि की निजी ना होकर सबकी हो जाती है। कविताएं हमारे समय की विविधताओं की दस्तावेज़ हैं।
मॉडरेटर डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य भारतीयता का साहित्य है। वे साहित्य में संवेदना,बुद्धिपरकता और मनुष्यता का त्रिभुज निर्मित करते हैं। साहित्य संवाद का उद्देश्य है वरिष्ठ और युवा पीढ़ी के बीच एक सृजनात्मक संवाद स्थापित करना। कवि परिचय के रूप में चंदन भगत, आशुतोष राउत और प्रज्ञा झा ने काव्य पाठ किया। इस अवसर पर मिशन के संरक्षक रामनिवास द्विवेदी, कवि राज्यवर्धन, प्रियंकर पालीवाल, सेराज ख़ान बातिश, सुरेश शॉ, पद्माकर व्यास, डॉ.सुनील कुमार शर्मा, हिंदी अधिकारी राजेश साव, डॉ.आदित्य गिरी, डॉ.आदित्य विक्रम सिंह, उमा डगमगान, अमरजीत पंडित, मंटू दास, धीरज केशरी, डॉ.सुमन शर्मा, संजय दास, प्रदीप धानुक,डॉ.नवनीता दास, मिथिलेश साव, एकता हेला, डॉ. इबरार खान, लिली साह, डॉ.रमाशंकर सिंह, रूपेश यादव, सुषमा कुमारी, प्रगति दूबे, सपना खरवार,आकांक्षा, शुभस्वप्ना मुखर्जी ,कंचन भगत और अनिल शाह समेत दर्जनों साहित्यप्रेमी मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन भारतीय भाषा परिषद की विमला पोद्दार ने दिया।