देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था नीलांबर के तत्वावधान में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में युवा कवयित्री एवं नीलांबर की कोर समिति की सदस्या अनिला राखेचा के पहले कविता संग्रह ‘काजल की मेड़’ (वाणी प्रकाशन) का लोकार्पण एवं उस पर केन्द्रित परिचर्चा का आयोजन 13 सितंबर 2025 को कोलकाता के नंदन-3 सभागार में हुआ। इस अवसर पर साहित्य-जगत की अनेक चर्चित हस्तियाँ, कवि-आलोचक, सांस्कृतिक सरोकार से जुड़े लोग एवं साहित्यप्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित रहें।
कार्यक्रम का शुभारंभ नीलांबर के संरक्षक एवं सुपरिचित लेखक मृत्युंजय कुमार सिंह के स्वागत वक्तव्य से हुआ। उन्होंने कहा – “आज हमारे बीच हिंदी कविता के एक नवांकुर का उदय हुआ है और हर उदय का स्वागत होना चाहिए। अनिला राखेचा की कविताओं में बारीकी के साथ वैचारिक उद्वेलन मुखर है। उनकी संवेदना प्रेम से ही प्रश्नों के अनेक पन्ने खोलती है।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ कवि अरुण कमल ने कहा – “पहला कविता संग्रह हर कवि के लिए सबसे बड़ी खुशी लेकर आता है। अनिला राखेचा की कविताओं का यह संग्रह प्रेम, संघर्ष, परिवार और समाज के विविध अनुभवों का संगम है। इनमें नवीन प्रश्नों और चिंताओं की गहन अभिव्यक्ति है। यह संग्रह अनिला को एक महत्वपूर्ण कवि स्वर के रूप में स्थापित करता है।”
परिचर्चा में भाग लेते हुए सुपरिचित कवि-आलोचक प्रियंकर पालीवाल ने कहा – “अनिला राखेचा की कविताएं प्रेम और प्रार्थना की कविताएं हैं, जिनमें स्वप्न जीवन को सहारा देते हैं। जब स्त्रियाँ पुरुष होने की ओर उन्मुख हैं, ऐसे समय में अनिला की कविताओं का छोटी-छोटी संवेदनाओं को बचाए रखना एक महत्वपूर्ण तथ्य है।”
सुपरिचित आलोचक अरुण होता ने कहा – “काजल की मेड़ में प्रेम की अनेक छवियाँ हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों में प्रेम की सबसे अधिक जरूरत है और अनिला की कविताएं समाज व राष्ट्र के सपनों को भी व्यक्त करती हैं। उनकी सबसे बड़ी शक्ति यही है कि वे उम्मीद बनाए रखती हैं।”
चर्चित कवि एवं लेखक यतीश कुमार ने कहा – “कविता संग्रह का स्वागत होना चाहिए। हिंदी साहित्य का वृक्ष आज एक नई पत्ती से और हरा-भरा हुआ है। ‘काजल की मेड़’ में धरती, प्रेम, आकाश, जल, वायु, अग्नि के बिंब हैं। कविताओं में जीवन की रेल यात्रा, अधूरे प्रेम की आह, आत्मग्लानि और साथ ही स्त्रियों को आगे बढ़ने का प्रेरणास्रोत भी है।”
युवा आलोचक विनय मिश्र ने संग्रह की सराहना करते हुए कहा – “इस काव्य-संग्रह में स्त्री जीवन के सपनों और संघर्ष की सहज अभिव्यक्ति है। प्रेम और परिवार के विविध रूपों के साथ अदम्य जिजीविषा का प्रतिबिंब यहां देखा जा सकता है।”