ऑनलाइन गैंगःसहज शिकार हो रहे किशोर
संदीप कुमार
| 01 Apr 2025 |
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ब्रिटेन में किशोर वय के लड़कों के ऑनलाइन गैंग द्वारा साझा की जा रही चरम सामग्री ने एक गंभीर खतरे की घंटी बजा दी है। नेशनल क्राइम एजेंसी (एनसीए) की चेतावनी के अनुसार, ये लड़के ऑनलाइन समूहों में शामिल हो रहे हैं, जहां वे दुखदायी और महिला विरोधी सामग्री साझा करते हैं, जो धोखाधड़ी, हिंसा और बाल यौन शोषण जैसे अपराधों को बढ़ावा देती है। यह प्रवृत्ति न केवल ब्रिटेन के लिए चिंताजनक है, बल्कि भारत जैसे देशों के लिए भी एक चुनौती है, जहां इंटरनेट और सोशल मीडिया का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय दृष्टिकोण से इस मुद्दे का विश्लेषण करना आवश्यक है ताकि संभावित खतरों से निपटा जा सके और युवाओं को सुरक्षित रखा जा सके।
ब्रिटिश नेशन क्राइम एजेंसी के अनुसार, ऑनलाइन समुदाय साइबर हमलों, धोखाधड़ी, चरमपंथ, ब्लैकमेल, गंभीर हिंसा और बाल यौन शोषण जैसे अपराधों को बढ़ावा देते हैं। इन ऑनलाइन समुदायों को “कॉम” नेटवर्क के रूप में जाना जाता है, और 2022 से 2024 तक ब्रिटेन में इनकी संख्या में छह गुना वृद्धि हुई है। एजेंसी के विश्लेषकों का अनुमान है कि ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देशों में लाखों संदेश यौन और शारीरिक शोषण से संबंधित साझा किए जाते हैं।
भारत के लिए यह चेतावनी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां युवा आबादी बड़ी संख्या में इंटरनेट का उपयोग कर रही है। सस्ते डेटा और स्मार्टफोन की उपलब्धता के कारण, किशोर और युवा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अधिक समय बिता रहे हैं, जिससे वे इस तरह के ऑनलाइन खतरों के प्रति अधिक संवेदनशील हो गए हैं। भारत में बाल यौन शोषण और साइबर अपराध से संबंधित कानूनों और प्रवर्तन एजेंसियों की सक्रियता के बावजूद, ऑनलाइन किशोर गैंग की बढ़ती प्रवृत्ति एक गंभीर चुनौती पेश करती है।
ब्रिटेन में Netflix की हिट श्रृंखला Adolescence ने “इन्सले” संस्कृति और वास्तविक दुनिया में होने वाले नुकसान के बीच संबंध को दर्शाया है, जिससे ऑनलाइन “मैनोस्फीयर” में लड़कों और युवा पुरुषों के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं। इसी तरह, भारत में भी ऐसे ऑनलाइन समूह और समुदाय मौजूद हैं जो युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें नकारात्मक विचारधाराओं से प्रभावित करने का काम कर रहे हैं।
भारत को इस खतरे से निपटने के लिए कई कदम उठाने की आवश्यकता है। सबसे पहले, ऑनलाइन सामग्री की निगरानी और उसे हटाने के लिए मजबूत तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है। सोशल मीडिया कंपनियों को जवाबदेह बनाने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर ऐसी सामग्री को फैलने से रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाएं। दूसरा, युवाओं को ऑनलाइन सुरक्षा और जिम्मेदारी के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। स्कूलों और कॉलेजों में साइबर सुरक्षा पाठ्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए, जो छात्रों को ऑनलाइन खतरों के बारे में जागरूक करें और उन्हें सुरक्षित रहने के तरीके सिखाएं। माता-पिता की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। उन्हें अपने बच्चों के ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए और उनसे खुली बातचीत करनी चाहिए ताकि वे किसी भी प्रकार की ऑनलाइन उत्पीड़न या शोषण का शिकार होने से बच सकें। माता-पिता को अपने बच्चों को ऑनलाइन समुदायों और समूहों में शामिल होने के खतरों के बारे में भी जागरूक करना चाहिए। कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भी इन ऑनलाइन किशोर गैंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।