17 सालों से जुटे हैं शंकर पर्यावरण संरक्षित करने में

जलज वर्मा

 |  24 Jan 2017 |   90
Culttoday

55 वर्षीय शंकर मजूमदार. पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के चाय बागानों की देखरेख के बीच हमेशा पर्यावरण सुरक्षित करने की बातें करते रहते हैं. रांची का होने के कारण उन्हें चाय बागानों व वन क्षेत्रों में भी काफी सहायता मिलता है. पिछले 17 वर्षो से इस दिशा में वे लगातार काम करते हुए लोगों को कुछ हद तक जागरूक कर पाए है. शंकर मजूमदार सन 1996 में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले अनिमेष बसु से प्रभावित होकर हिमालयन नेचर एंड एडवेंचर फाउंडेशन सिलीगुड़ी से जुड़ गये. 1999 से स्वयं को पर्यावरण बचाने के लिए समर्पित कर चुके है. इन दिनों वे बतौर सचिव बनकर पूरे उत्तर बंगाल के समतल व हिल्स में पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने में लगे है. शंकर मजूमदार कहते है कि वे झारखंड के रांची में जन्म लिए. वहां से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिकन एक दवा कंपनी में काम के सिलसिला में 1988 में सिलीगुड़ी आया. यहां आने के बाद कंपनी की ओर से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में समय समय पर कार्यक्रम किया जाता था. उत्तर बंगाल पर्यावरण प्रेमियों के लिए सबसे अनुकूल स्थान पाया. यहां वन क्षेत्र, नदियां, पहाड़ और वन्य प्राणियों के प्रति लोगों में जागरुकता की कमी देखी गयी. देखते ही देखते कंक्रीट के जंगल में उत्तर बंगाल तब्दील होने लगा. इसको लेकर मन में काफी पीड़ा हुई. यहां जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, शब्द प्रदूषण और दृश्य प्रदूषण की ओर पूरा शहर कराहने लगा. हाथियों के लिए चर्चित उत्तर बंगाल का असम नेपाल कारिडोर में ट्रेनों से हाथियों के कटकर मरने की खबर आने लगी. 100 से अधिक हाथियों के मौत को लेकर उच्चतम न्यायालय में मामला दर्ज किया गया. दस वर्षो के लड़ाई के बाद जीत मिली. उड़ीसा व उत्तर बंगाल के लिए फैसला आया कि रात में रेल का संचालन नहीं किया जाए. जरुरत हो तब ही ट्रेनों का परिचालन अलीपुरद्वार से सिलीगुड़ी के बीच चलाया जाए. इसकी गति भी 30 किलोमीटर प्रतिघंटा हो. इतना ही नहीं स्कूली बच्चों के बीच ग्रीन राइनों का गठन कर जागरूक बनाया जा रहा है. नो पोलीथीन जोन के लिए भी लगातार लड़ाई कर उसपर प्रतिबंध लगवाया गया. जल संरक्षण के बारे में जानकर भी लोग अंजान बने हुए है. आज भी पेड़ काटे जा रहे है. 40 प्रतिशत घरों में लकड़ी पर खाना बनता है. इसे रोकना न सिर्फ चुनौती है बल्कि इसे पूरा करवाना लक्ष्य बन गया है. शंकर मजूमदार कूड़ा निस्तारण को लेकर काफी चिंतित है. प्लाट जल जाने के बाद शहर का कूड़ा जमीन के भीतर डाला जा रहा है, जो कि जमीन और पानी के लिए प्रदूषणकारी है. जो हवा को प्रदूषित कर रहा था. वे पहले कूड़े के वैज्ञानिक प्रबंधन को लेकर कुछ कार्यशालाओं में हिस्सा लिया. फिर लोगों तक यह बात पहुंचाई और सोसायटी के लोगों, उनके घर काम करने वाली सहायिकाओं को समझाने का काम करते आ रहे है. हॉर्टिकल्चर वेस्ट और किचन वेस्ट के लिए प्लाट लगवाना प्रारंभ किया है. इससे उन्हें उम्मीद है कि शहर में कुछ हद तक प्रदूषण को संरक्षित करने में मदद मिल पाएगी.

 


RECENT NEWS

आवरणकथा- डूबते मेट्रोपोलिस
श्रीराजेश |  01 Dec 2025  |  27
तकनीक ही बनेगा तारनहार
संजय श्रीवास्तव |  02 Sep 2025  |  78
जलवायु शरणार्थीः अगला वैश्विक संकट
दिव्या पांचाल |  30 Jun 2025  |  111
आकाशगामी भारत
कल्ट करंट डेस्क |  30 Jun 2025  |  87
To contribute an article to CULT CURRENT or enquire about us, please write to cultcurrent@gmail.com . If you want to comment on an article, please post your comment on the relevant story page.
All content © Cult Current, unless otherwise noted or attributed. CULT CURRENT is published by the URJAS MEDIA VENTURE, this is registered under UDHYOG AADHAR-UDYAM-WB-14-0119166 (Govt. of India)