वह दौर न केवल सिनेमा में कंटेंट के बदलाव का दौर था बल्कि देश में राजनीति का मिजाज बदल रहा था, युवा पीढ़ी के सोच में एक व्यापक बदलाव का आगाज हो रहा था. तब 1972-73 में बॉबी फिल्म के जरिए एक चॉकलेटी चेहरे वाला नायक सिनेमा के पर्दे पर उभरता है और प्यार के तराने गाने लगता है और फिर उसके चाहने वाले उसे रोमांटिक नायक बना देते हैं. वास्तव में 70-80 का वह दौर एंग्री यंग मैन का दौर था, लेकिन इस दौर में भी ऋषि कुमार ने युवा धड़कनों को अपनी अदाकारी और गुनगुनाने के लिए संगीत दिया. ऋषि कपूर वास्तव में सच्चे अदाकार थे और यह अदाकारी उन्हें विरासत में मिली थी. दादा पृथ्वीराज कपूर के साथ – साथ पिता राज कपूर से.
हालांकि ऋषि कपूर फिल्म श्री 420 में एक बाल कलाकार के तौर पर फिल्मी अदाकारी की शुरुआत की थी. इस फिल्म में पिता राज कपूर और मां नरगिस थी . इस फिल्म का वह गाना याद होगा... प्यार हुआ, इकरार हुआ... इसमें दो बच्चे दिखते हैं, उनमें से एक बच्चा ऋषि कपूर थे. वहीं बाल कलाकार के रूप में उनकी दूसरी फिल्म उनके पिता की ही होम प्रोडक्शन फिल्म – मेरा नाम जोकर था.
जब बॉबी सिनेमा घरों में रिलीज हुई तो महीनों तक हाउसफुल रहा, बॉक्स ऑफिस पर फिल्म तो सुपरहिट रही ही. दरअसल, ऐसी ही सुपरहिट फिल्म से राज कपूर अपने बेटे ऋषि कपूर को फिल्म इंडस्ट्री में लॉंच करना चाहते थे और जिसे सिनेमा का जादूगर कहा जाता है, उसके लिए भला यह कौन सा मुश्किल काम था. फिल्म की कहानी, पटकथा, गीत-संगीत सबके केंद्र में थे तो केवल ऋषि कपूर. हालांकि इसके बाद रफू चक्कर, सरगम, कर्ज, प्रेम रोग, नगीना, हनीमून, हीना, चांदनी, बोल राधा बोल, और ये वादा रहा जैसी कई रोमांटिक हिट फिल्में दे कर उन्होंने बालीवुड में अपनी एक इमेज बना ली थी. हालांकि वे टाइपकास्ट नहीं थे. लेकिन उन्हें एक रोमांटिक हीरों के तौर पर ही दर्शक पसंद करते थे. बालीवुड के महानायक और ऋषि कपूर की फिल्मी इमेज में जमीन आसमान का अंतर था, लेकिन पर्दे पर दोनों की जोड़ी आई भी औऱ धूम भी मचायी. अमर, अकबर, एंथोनी... एक यादगार फिल्म बनी.
ऋषि कपूर ने अपने फिल्मी करियार में 90 से ज्यादा रोमांटिक फिल्में की हैं, हालांकि उन्होंने बॉलीवुड के अलावा कई ब्रिटिश फिल्मों में भी काम किया है- ‘डोन्ट स्टॉप ड्रीमिंग (2007)’ और ‘सांबर सालसा (2008)’. 70-80 के दशक का दौर भारतीय सिनेमा का यादगार दौर था औऱ इस दौर में अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर ने इंडस्ट्री पर राज किया. अमिताभ बच्चन जहां यंग्री यंग मैन की भूमिका में थे तो वहीं ऋषि कपूर की इमेज एक रोमांटिक हीरो की थी. अलग-अलग स्टाइल होते हुए भी दोनों ने साथ में कई फिल्में कीं जिन्हें दर्शकों ने खूब सराहा. यह जोड़ी 102 नॉट आउट में दिखी और अपने अभिनय से इस जोड़ी ने सबका दिल जीता. इसके अलावा ऋषि कपूर दो दुनी चार, मुल्क जैसी फिल्मों में चरित्र अभिनेता होने के बावजूद फिल्म के केंद्र में रहे.
ऋषि कपूर और नीतू सिंह को बॉलीवुड का सबसे रोमांटिक कपल कहा जाता है. नीतू सिंह, ऋषि कपूर की 15 फिल्मों में को-स्टार रही हैं. फिल्म ‘जहरीला इंसान’ के दौरान ऋषि कपूर और नीतू सिंह की मुलाकात हुई, साथ काम करने के दौरान दोनों दोस्त बने और फिर यह दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई. दोनों ने 22 जनवरी, 1980 में शादी कर ली. ऋषि कपूर और नीतू सिंह के दो बच्चे हैं रणवीर कपूर और ऋद्धिमा कपूर. रणवीर कपूर बॉलीवुड के मशहूर कलाकारों में से हैं. वहीं ऋद्धिमा कपूर का अपना बिजनेस है
ऋषि कपूर ने अभिनेत्री माधुरी दीक्षित के साथ भी कई फिल्मों में काम किया है. दोनों की जोड़ी ने इंडस्ट्री को कई हिट फिल्में दी हैं. बाद में माधुरी ने उनके बेटे रणवीर कपूर के साथ उनकी फिल्म ‘ये जवानी है दीवानी’ में आइटम नंबर किया था. ऋषि कपूर को नाइजीरिया में भी लोग बेहद पसंद करते हैं. जिसकी वजह से उन्होंने ऋषि कपूर का निकनेम भी रखा है. नाइजीरिया के लोग ऋषि को प्यार से ‘मेस’ (Mace) बुलाते हैं. इसका मतलब होता है महिला. ऋषि कपूर ने अपनी बेहतरीन अदाकारी के लिए नेशनल अवॉर्ड समेत 13 बड़े अवॉर्ड अपने नाम किए हैं. फिल्म बॉबी के लिए ऋषि कपूर को बेस्ट एक्टर का फिल्म फेयर अवॉर्ड दिया गया था। सिनेमा में दिए गए योगदान के लिए ऋषि कपूर को रूसी सरकार द्वारा सम्मानित किया जा चुका है.
4 सितंबर, 1952 को जन्मे ऋषि कपूर अपनी उम्दा अदाकारी को लेकर अक्सर चर्चा में रहे लेकिन यह प्रख्यात अभिनेता 67 साल की उम्र में 30 अप्रैल की रात को इस दुनिया को अलविदा कह गया. ऋषि कपूर ने मुंबई के एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में अंतिम सांस ली. वह दो साल से ल्यूकेमिया से लड़ रहे थे जिसके चलते उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. ऋषि कपूर अपने अंतिम समय तक अपने अदाकार होने का धर्म निभाते हुए अस्पताल के स्टॉफ का मनोरंजन करते रहे. ऐसे जिंदादिल रहे अभिनेता को श्रद्धांजलि.