तनिष्क द्वारा विज्ञापन हटाए जाने के बाद माफी मांगने की हो रही मांग
जलज वर्मा
| 15 Oct 2020 |
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आभूषण ब्रांड तनिष्क के 'एकत्वम' कैंपेन के तहत जारी किये गये विज्ञापन पर जब विवाद हुआ तो तनिष्क ने यह विज्ञापन वापस ले लिया लेकिन विरोध करने वाले समूहों का कहना है कि तनिष्क को इस विज्ञापन के लिए माफी भी मांगनी होगी.
दरअसल, यह विज्ञापन अलग-अलग समुदाय के शादीशुदा जोड़े से जुड़ा था और इसमें एक मुस्लिम परिवार में हिंदू बहू की गोद भराई की रस्म को दिखाया गया था.
तनिष्क ने एक बयान जारी करते हुए कहा था कि 'एकत्वम' कैंपेन के पीछे विचार इस चुनौतीपूर्ण समय में विभिन्न क्षेत्र के लोगों, स्थानीय समुदाय और परिवारों को एक साथ लाकर जश्न मनाने के लिए प्रेरित करना था लेकिन इस फ़िल्म का जो मक़सद था उसके विपरीत, अलग और गंभीर प्रतिक्रियाएं आईं. हम जनता की भावनाओं के आहत होने से दुखी हैं और उनकी भावनाओं का आदर करते हुए और अपने कर्मचारी और भागीदारों की भलाई को ध्यान में रखते हुए इस विज्ञापन को वापस ले रहे हैं.
हालांकि 'सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज़ की महानिदेशक' और 'द एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड कॉउंसिल ऑफ़ इंडिया' (एएससीआई) की कन्ज़्यूमर कंपलेंट कॉउंसिल (सीसीसी) की सदस्य पीएन वसंती इसे बेहद ख़ूबसूरत विज्ञापन बताती हैं और कहती हैं कि इसमें कुछ भी ग़लत नहीं दिखाया गया.
वे सोशल मीडिया पर इस विज्ञापन को लेकर आई प्रतिक्रिया को शर्मनाक बताती हैं. वे आरोप लगाती हैं कि देश में एक तरह की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है और इस विज्ञापन के ख़िलाफ़ ये एक सोची समझी रणनीति के तहत हुआ है.
पीएन वसंती इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त करती हैं कि टाटा जैसे इतने बड़े ब्रैंड ने अपना विज्ञापन वापस क्यों लिया.
तो सोशल मीडिया के ज़रिए इस विज्ञापन पर अपना विरोध जताने वाले खेमचंद शर्मा सवाल पूछते हैं कि इस विज्ञापन का मक़सद क्या था, इसमें क्या अच्छाई या ख़ूबसूरती है?
हालांकि वो ये ज़रूर स्पष्ट करते हैं कि उनका मक़सद टाटा ब्रैंड, रतन टाटा या तनिष्क को बदनाम करना नहीं है लेकिन वो अपनी आपत्ति दर्ज करते हुए कहते हैं कि इस पूरे विज्ञापन में संस्कृति और धर्म के नाम पर सिर्फ़ एक ही धर्म को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया जा रहा है कि मुस्लिम ही बहुत ज़्यादा प्यार और सम्मान से रखते हैं. और इसके ज़रिए लव जिहाद को फ़ैलाया जा रहा है.
बीजेपी की आईटी और सोशल मीडिया कमेटी के सदस्य रह चुके खेमचंद शर्मा कहते हैं कि हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. लेकिन इस विज्ञापन में क्रिएटिव हेड का नाम आ रहा है जो मुसलमान हैं, उन्हें ऐसा विज्ञापन बनाने की क्या ज़रूरत थी.
साथ ही वे इस विज्ञापन को रिवर्स यानी उल्टा करके दिखाने की बात पर ज़ोर देते हैं.
लेकिन जब मैंने उनसे पूछा कि आप इस विज्ञापन को रिवर्स करने की क्यों बात कर रहे हैं? जब आपको एक मुस्लिम परिवार में हिंदू बहू होने पर एकता नज़र नहीं आती तो आपको इसे उल्टा करते दिखाने में वो एकता कैसे नज़र आ जाएगी?
इस पर खेमचंद शर्मा कहते हैं, "अभिनेत्री शबाना आज़मी को इस विज्ञापन में खूबसूरती नज़र आ रही है. लेकिन वे राहुल कोठारी की मौत पर चुप हैं. इसमे उन्हें कुछ ग़लत नहीं दिखता. वो लड़का हिंदू था. उसका एक मुस्लिम लड़की से प्रेम था और उसे पीट-पीट कर मार दिया जाता है. जिस दिन उसकी मौत हुई उसी दिन इस विज्ञापन को लाया गया और ये लिंक्ड है. तो रिवर्स करके दिखाइए फिर देखते हैं कि शबाना आज़मी या कांग्रेस के वो बड़े नेता जिन्हें इस विज्ञापन में अभी सुदंरता नज़र आ रही है उसके बाद उन्हें वो दिखेगी या नहीं."
वे तनिष्क से इस विज्ञापन के लिए माफ़ी मांगने की बात करते हैं और उसे वापस लेने की बात को सही ठहराते हैं क्योंकि उनके अनुसार विज्ञापन पूरी तरह से ग़लत था. वे कहते हैं कि भविष्य में भी अगर ऐसे विज्ञापन आएंगे तो उनका शालीनता के साथ विरोध किया जाएगा.
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