कोरोना से अस्त-व्यस्त हुई आजीविका, बदली सेहत और खाने-पीने की प्रणाली

जलज वर्मा

 |  15 Oct 2020 |   73
Culttoday

आईएलओ, एफएओ, आईएफएडी और डब्ल्यूएचओ द्वारा दिए गए एक संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि, हमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा जारी नीति विवरण (पालिसी ब्रीफ) को समझना चाहिए और इस कोरोनाकाल में इसे सही ढ़ग से लागू करना चाहिए.
कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में मानव जीवन को नुकसान पहुंचाया है और सार्वजनिक स्वास्थ्य, खाद्य प्रणालियों और काम की दुनिया में एक अभूतपूर्व चुनौती पेश की है. महामारी से उत्पन्न आर्थिक और सामाजिक व्यवधान विनाशकारी है. करोड़ों लोगों के अत्यधिक गरीबी के चरम स्तर में पहुंचने का खतरा है, जबकि कुपोषित लोगों की संख्या, वर्तमान में लगभग 69 करोड़ (690 मिलियन) है, जो वर्ष के अंत तक 13.2 करोड़ (132 मिलियन) तक और अधिक बढ़ सकती हैं.
लाखों उपक्रम अस्तित्व के खतरे का सामना कर रहे हैं. दुनिया के 330 करोड़ (3.3 बिलियन) लोगों को अपनी आजीविका खोने का खतरा है. अनौपचारिक (इनफॉर्मल) अर्थव्यवस्था के कार्यकर्ता विशेष रूप से कमजोर होते हैं, क्योंकि इनकी सामाजिक सुरक्षा और गुणवत्ता वाले स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच में बहुत कमी होती है. लॉकडाउन के दौरान आय अर्जित करने के साधनों के बिना, कई लोग खुद को और अपने परिवार को खिलाने में असमर्थ थे.
महामारी पूरे भोजन प्रणाली को प्रभावित कर रही है. लॉकडाउन के दौरान तथा कुछ जगहों पर अभी भी सीमाएं बंद होने से, व्यापार में प्रतिबंध और रोक लगने के कारण किसानों को बाजार तक पहुंचने से रोक रहे हैं, जिससे वे अपनी उपज बेचने में असमर्थ थे. कृषि श्रमिकों को फसलों की कटाई करने से रोका गया था. इस प्रकार महामारी ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित किया और स्वस्थ, सुरक्षित और विविध आहारों तक पहुंच को कम कर दिया है. महामारी ने नौकरियों को कम कर दिया है और लाखों की आजीविका को खतरे में डाल दिया है. जैसा कि कमाने वाले रोजगार खो रहे हैं, बीमार पड़ जाते हैं और मर भी जाते हैं. लाखों महिलाओं और पुरुषों की खाद्य सुरक्षा और पोषण खतरे में है. कम आय वाले देशों में, विशेष रूप से सबसे अधिक हाशिए की आबादी, जिसमें छोटे पैमाने पर किसान और देशी लोग शामिल हैं, उन्हें सबसे तगड़ा झटका लगा है.
लाखों कृषि श्रमिक, स्वरोजगार करने वाले कुपोषण और खराब स्वास्थ्य का सामना कर रहे हैं. कम और अनियमित आय और सामाजिक समर्थन की कमी के साथ, उनमें से कई को काम करना जारी रखने के लिए प्रेरित किया जाता है. इसके अलावा, जब लोगों को आय में कमी का सामना करना पड़ता है, तो वे गलत रणनीतियों का सहारा ले सकते हैं, जैसे कि संपत्ति की बिक्री, लूट-पाट करना, बाल श्रम आदि. प्रवासी कृषि श्रमिक विशेष रूप से कमजोर हैं, क्योंकि वे काम करने और रहने की स्थिति में अधिक खतरे का सामना करते हैं. ये लोग सरकारों द्वारा किए जा रहे उपायों तक पहुंचने के लिए संघर्ष करते हैं. सभी कृषि-खाद्य श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की गारंटी देना, प्राथमिक उत्पादकों से लेकर खाद्य प्रसंस्करण, परिवहन और खुदरा क्षेत्र से जुड़े लोगों तक, जिनमें स्ट्रीट फूड विक्रेता शामिल हैं - साथ ही बेहतर आय और संरक्षण, जीवन बचाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा देना जरूरी है.
मौजूदा आपात स्थिति से निपटने वाले देश विशेष रूप से कोविड-19 के प्रभावों से अवगत हैं. महामारी के दौर में तेजी से प्रतिक्रिया करते हुए, यह सुनिश्चित करना कि लोगों तक सहायता पहुंचे. अब वैश्विक एकजुटता और समर्थन का समय है, विशेष रूप से उभरती और विकासशील दुनिया में सबसे कमजोर का साथ देना आवश्यक है.
हमें स्वास्थ्य और कृषि-खाद्य क्षेत्रों की चुनौतियों का सामना करने के लिए दीर्घकालिक स्थायी रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अधिक और बेहतर नौकरियों के माध्यम से, सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना, सुरक्षित प्रवास मार्गों को सुविधाजनक बनाना और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना जरूरी है.
हमें अपने पर्यावरण के भविष्य पर पुनर्विचार करना चाहिए और तुरंत जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गिरावट से निपटना चाहिए. तभी हम सभी लोगों के स्वास्थ्य, आजीविका, खाद्य सुरक्षा और पोषण की रक्षा कर सकते हैं.
 


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