मोदी के कर्मठ व्यक्तित्व की झांकी प्रस्तुत करने वाली कृति
जलज वर्मा
| 17 Oct 2020 |
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रेरक व्यक्तित्व, उल्लेखनीय उपलब्धियों और साहसिक फैसलों पर आधारित सैकडों पुस्तकें विगत कुछ वर्षों में लिखी जा चुकी हैं. इसी क्रम में विगत माह प्रधानमंत्री मोदी के जन्म दिवस पर देश के सुप्रसिद्ध पत्रकार एवं जाने माने राजनीतिक विश्लेषक कृष्णमोहन झा की एक कृति 'महानायक मोदी ' बाजार में आई है. परंतु श्री झा की इस पुस्तक को आप उन पुस्तकों की भीड का मात्र एक हिस्सा बताकर खारिज नहीं कर सकते. इस पुस्तक का आद्योपांत पारायण करने के पश्चात् आप इस नतीजे पर पहुंचने के लिए विवश हो सकते हैं कि श्री झा की यह नवीनतम कृति भीड़ का हिस्सा नहीं बल्कि उस भीड़ में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में समर्थ है. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी के विश्वासपात्र मंत्रियों में से एक श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस पुस्तक की भूमिका लिखी है और प्रधानमंत्री की जन्मतिथि 17 सितंबर को केंद्रीय मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने नई दिल्ली में इस पुस्तक का विमोचन किया था. श्री झा की इस पुस्तक के बाजार में आने के काफी समय पूर्व से ही सुधि पाठकों और राजनीतिक क्षेत्रों में उत्सुकता से इस पुस्तक के प्रकाशन की प्रतीक्षा की जा रही थी. पुस्तक के प्रकाशक ' सरोजनी पब्लिकेशंस ' के प्रबंधक बताते हैं कि पुस्तक को लेकर संबंधित क्षेत्रों में इतनी उत्सुकता थी कि प्रथम संस्करण का प्रकाशन होते ही उसकी अधिकांश प्रतियां हाथों हाथ बिक गईं.
श्री कृष्ण मोहन झा की इस कृति को पूरा पढने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि यह कृति उनके द्वारा गत सवा साल में लिखे गए राजनीतिक लेखों का संग्रह है. परंतु कुछ लेख पढकर यह अनुमान अवश्य लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने मन में अपनी इस कृति को एक ग्रंथ के रूप में प्रस्तुत करने की अभिलाषा संजो रखी थी और बाद में प्रधानमंत्री मोदी के दूसरे कार्यकाल के विभिन्न ऐतिहासिक उपलब्धियों को भी शामिल करने की उत्कंठा के कारण इस कृति ने लेख संग्रह का रूप ले लिया लेकिन यह लेख संग्रह भी एक पुस्तक की कसौटी पर खरा उतरने में समर्थ है. सभी लेख पठनीय हैं और एक सजग राजनीतिक विश्लेषक के रूप में श्री झा की सटीक विवेचनात्मक क्षमता से हमारा परिचय कराते हैं. पुस्तक में शामिल किए गए सभी लेखों को इस तरह सिलसिलेवार प्रस्तुत किया गया है कि उन्हें पढते समय किसी ग्रंथ की ही अनुभूति होती है. इन लेखों में कृष्ण मोहन झा का गहन अध्ययन , मनन और चिंतन प्रतिबिंबित होता है जो पाठक के मानस पर विशिष्ट छाप छोडने में समर्थ है. श्री झा की इस कृति की उपमा आप सुवासित फूलों के उस गुलदस्ते से दे सकते हैं जिसके हर फूल की अपनी एक विशेषता है जिसमें अनिर्वचनीय सम्मोहन समाया हुआ है. श्री झा की इस कृति में जितने भी लेख शामिल किए गए हैं वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुपम और आदर्श व्यक्तित्व और कृतित्व की मनोरम झांकी प्रस्तुत करते हैं.
निसंदेह यह कृति श्री झा की पूर्व में प्रकाशित कृतियों से अलग हटकर है. श्री झा की इस कृति में संग्रहीत सभी लेखों में प्रधानमंत्री मोदी के द्वितीय कार्यकाल के प्रथम वर्ष की उन विशिष्ट उपलब्धियों और साहसिक फैसलों के युगान्तरकारी प्रभावों का विशद विश्लेषण किया है जो प्रधानमंत्री की प्रबल इच्छा शक्ति ,दृढ संकल्प ,कर्मठ व्यक्तित्व ,दूरदृष्टि और विलक्षण कार्यशैली के परिचायक हैं. लेखक ने 'अपनी बात ' में कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के विराट व्यक्तित्व की सारी खूबियों को एक संक्षिप्त कृति में समेट पाना नामुमकिन है परंतु पूरी पुस्तक पढने के बाद सुधि पाठकों का श्री झा के इस कथन से बरबस ही सहमत होना पडेगा कि वे अपने इस प्रयास में आदि से अंत तक पूर्णत: ईमानदार रहे हैं. वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पुस्तक की जो भूमिका लिखी है उसमें उनका स्प्ष्ट मत है कि यह पुस्तक राजनीतिक लेखन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी. यही इस पुस्तक की समीक्षा का सारांश है.
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