भारत और स्विट्जरलैंड ने कई ऐसे ट्रस्टों की पहचान की है, जो टैक्स चोरी के सुरक्षित पनाहगाह देशों में स्थित संस्थाओं का इस्तेमाल कर स्विस बैंकों में अवैध धन छिपाकर रखते हैं. स्विस टैक्स अथॉरिटी ने ऐसे ट्रस्टों को नोटिस जारी किए हैं. साथ ही स्विट्जरलैंड के टैक्स अधिकारी ऐसे व्यक्तियों की बैंक जानकारियां भारत के साथ साझा कर रहे हैं, जो टैक्स चोरी कर विदेश भाग चुके हैं.
जानकारी के मुताबिक, भारतीय कारोबारी अतुल पुंज, गौतम खेतान, सतीश कालरा, विनोद कुमार खन्ना, दुल्लाभाई कुंवरजी वाघेला, रीवाबेन दुल्लाभाई कुंवरजी वाघेला और बलवंत कुमार दुल्लाभाई वाघेला को नोटिस भेजा गया है. हालांकि कुछ ऐसे व्यक्तियों के नाम भी शामिल हैं, जिनकी मौत हो चुकी है. ऐसे में उनके उत्तराधिकारियों को इसका जवाब देने को कहा गया है.
स्विट्जरलैंड के सरकारी राजपत्र में पिछले एक महीने के दौरान प्रकाशित नोटिस के मुताबिक, कुछ कारोबारियों समेत केमैन आइलैंड स्थित ट्रस्टों और कंपनियों को कहा गया है कि अगर वे भारत के साथ बैंक जानकारियां साझा करने के खिलाफ अपील करना चाहते हैं तो अपना प्रतिनिधि नियुक्त करें. केमैन आइलैंड, पनामा और वर्जिन आइलैंड जैसे देशों में बनाए गए ट्रस्ट को टैक्स चोरी का जरिया माना जाता है.
स्विस सरकार ने टैक्स चोरों की पनाहगाह होने की अपनी छवि बदलने को बीते कुछ वर्षों में अहम कदम उठाए हैं. इसके तहत कई देशों के साथ हुए समझौतों के तहत वह संदिग्ध व्यक्तियों की बैंकिंग सूचनाएं साझा कर रही है.
केमैन आइलैंड स्थित जिन ट्रस्ट को नोटिस जारी किए हैं, उनमें द पी देवी चिल्ड्रन ट्रस्ट, द पी देवी ट्रस्ट, द दिनोद ट्रस्ट और द अग्रवाल फैमिली ट्रस्ट शामिल हैं. इसके अलावा भारत स्थित अधी इंटरप्राइजेज लिमिटेड समेत कई अन्य कंपनियों को भी नोटिस जारी किया गया है. ऐसा माना जाता है कि इन ट्रस्ट का इस्तेमाल कर कुछ नेताओं ने अवैध धन रियल एस्टेट, रत्न एवं आभूषण, वित्तीय सेवाएं जैसे क्षेत्रों में लगाया है.
भारत में काला धन का मामला राजनीतिक तौर पर संवेदनशील है. स्विट्जरलैंड के अधिकारियों ने मार्च से अब तक करीब 3,500 भारतीय खाताधारकों को नोटिस जारी किया है. खाताधारकों की सूचनाओं को साझा करने को लेकर भारत सरकार के साथ उसने समझौता किया है. अन्य देशों के साथ भी ऐसे समझौते किए हैं.