मेघालय के सूअर पालकों को मिलेगा ब्याज मुक्त ऋणः कोनराड के संगमा

श्रीराजेश

 |  14 Sep 2020 |   33
Culttoday

कोविड 19 की वजह से जहां पूरी दुनिया में कामकाज ठप है, ऐसे में सरकारें मिशन मोड में काम कर अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने की कोशिश में जुटी है औऱ इसके लिए केंद्र सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान शुरू की है, लेकिन इसके समानांतर ही राज्य स्तर पर मेघालय में ‘रिस्टार्ट मिशन’ शुरू किया गया है. उद्देश्य है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिल कर सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को चुस्ती दें. इसी क्रम में बीते 10 सितंबर, 2020 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के सहयोग से मेघालय में देश की पहली सबसे बड़ी सूअर पालन परियोजना का शुभारंभ किया गया. इस परियोजना पर 220 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे. इसकी पहली किस्त के रूप में 53 करोड़ रुपये केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा को सौंपा.

समारोह को संबोधित करते हुए श्री संगमा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने का आह्वान राज्य में कितनी पूरी की जा सकती है, इसे लेकर राज्य सरकार विभिन्न स्तर पर केंद्र सरकार व केंद्रीय संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि सूअर पालन परियोजना में अधिक से अधिक किसानों की सहभागीता सुनिश्चित करने के लिए किसानों को ब्याज मुक्त ऋण दी जाएगी.  बैंकों को ऋण राशि का ब्याज मेघालय सरकार देगी. इस परियोजना में ‘आत्मनिर्भर भारत मिशन’ शामिल है क्योंकि यह न केवल मेघालय में सूअर-मांस के आयात का विकल्प बनेगा, बल्कि स्वच्छ सूअर-मांस उत्पादों का निर्यात भी करेगा.

संगमा ने कहा कि इस परियोजना के तहत 300 दूरस्थ सुअर प्रजनन फार्म, छोटे पशुवधखानों, उत्पाद परिवहन हेतु छोटे वाहन और पोर्क वेंडिंग कियोस्क स्थापित की जाएगी. इसमें निर्यात के लिए सुअर चारा भंडारण इकाई, गुणवत्ता प्रमाणन सुविधा और प्रसंस्कृत उत्पादों के लिए पायलट सुविधा, ब्रांड संवर्धन और निर्यात हेतु बाजार समर्थन शामिल हैं. यह पूर्वोत्तर में एनसीडीसी द्वारा स्वीकृत की गई सबसे बड़ी परियोजना है और देश में सुअर पालन क्षेत्र के विकास की पहली परियोजना है. मेघायल की 208 सहकारी समितियों को पहले से ही सूअर पालन मिशन और एम-लीड्स के कार्यान्वयन के लिए शिनाख्त की गई है और राज्य सरकार अब सूअर पालन मिशन के कार्यान्वयन के लिए पूरी तरह से तैयार है.

मुख्यमंत्री संगमा ने कहा कि मेघालय में सूअर मांस की मांग और आपूर्ति के बीच लगभग 25 प्रतिशत का अंतर है, जब कि पूरे पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की बात की जाए तो यह अंतर लगभग 50 प्रतिशत का है. ऐसे में मेघालय सूअर पालन मिशन (एमपीएम) का उद्देश्य सूअर मांस के उत्पादन की मात्रा में वृद्धि करना है, ताकि न केवल पूर्वोत्तर क्षेत्र की मांग को पूरा किया जा सके बल्कि एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप दक्षिण पूर्व एशिया को भी निर्यात किया जा सके. इससे राज्य में रोजगार के और नये अवसर सृजित होंगे. राज्य के 5000 आदिवासी समुदाय से संबंधित बेरोजगार युवाओं को आजीविका का नियमित स्रोत मिल सकेगा.

केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि इस परियोजना के लिए मेघालय में 10 हजार एपपीओ बनाये जाएंगे ताकि लक्ष्य को निर्धारित समय में प्राप्त करते हुए किसानों व सूअर पालकों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार प्रधानमंत्री द्वारा किसानों की आय दो गुनी करने के आह्वान को सार्थक करने के लिए हर स्तर पर योजनाबद्ध तरीके से प्रयास किये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसानों को अपने उत्पाद को बाजार तक ले जाने में सहुलियत हो इसके लिए केंद्र सरकार ने किसान रेल चलाने की भी घोषणा की है.

मेघालय के उप मुख्यमंत्री प्रिस्टोन तिनसॉन्ग ने कहा कि इस परियोजना में मेघालय पशुधन उद्यम उन्नति समिति (एम-लीड्स) के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में क्रमशः प्रधान सचिव पशुपालन और पशु चिकित्सा एवं आयुक्त तथा सचिव, वित्त और सहकारिता विभाग, समिति का गठन किया गया है. एम-लीड्स के शासी निकाय में समुदाय एवं ग्रामीण विकास विभाग, मेघालय बेसिन विकास प्राधिकरण, मेघालय राज्य ग्रामीण आजीविका समिति तथा मेघालय राज्य सर्वोच्च बैंक जैसे अन्य महत्वपूर्ण हितधारकों का भी प्रतिनिधित्व है. इसके साथ ही मनरेगा के तहत इस परियोजना को संबद्ध किया जाएगा.

तिनसॉन्ग ने कहा कि निजी क्षेत्र के सहयोग से, न्यूक्लियस ब्रीडिंग केन्द्रों में प्रजनन के लिए उच्च गुणवत्ता वाले जर्मप्लाज्म को लाया जाएगा.  ये केंद्र सहकारी समितियों से संबद्ध परियोजना के लाभार्थियों को गुणवत्ता वाले पिगलेट (सूअर शिशु) की निरंतर आपूर्ति करता रहेगा.  इस परियोजना के अंतर्गत उच्च गुणवत्ता वाले सूअर का मांस प्राप्त किया जा सकेगा, राज्य के बाहर से आने वाले पिगलेट (सूअर शिशु) पर निर्भरता कम रहेगी तथा गुणवत्ता एवं रोग प्रतिरोधी पिगलेट (सूअर शिशु) की आपूर्ति सुनिश्चित करेगी.  इस परियोजना के परिणामस्वरूप अधिशेष उत्पादन भी होगा जो अन्य राज्यों और सीमाओं से बाहर निर्यात किया जाएगा.

एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक संदीप नायक ने कहा कि यह परियोजना मेघालय में कमजोर वर्गों की समितियों के लिए बहुउद्देशीय सहकारी अवसंरचना, अच्छी तरह से व्यवस्थित बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज, साफ़ स्वच्छ सूअर/ सूअर उत्पादों के उत्पादन और विपणन के माध्यम से स्थायी आजीविका विकास जैसे उद्देश्यों को पूरा करने के लिए प्रस्तावित है.

कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक बीएन त्रिपाठी, एनआरसीपी, गुवाहाटी के निदेशक एन राजखोवा ने संबोधित किया तथा कार्यक्रम का संचालन एनसीडीसी के एएस मीणा ने की.


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