कोरोना वायरस के संक्रमण से उपजी लॉकडाउन स्थिति से देश में चार करोड़ प्रवासी मजदूर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. विश्व बैंक ने प्रवासी के नजरिये से कोरोना वायरस संकट नामक एक रिपोर्ट जारी की है, इसी रिपोर्ट में यह बात रही गई है. इसमें कहा गया है कि आतंरिक प्रवास की तादाद अंतरराष्ट्रीय प्रवास के मुकाबले ढाई गुना है. विश्व बैंक ने कहा है कि भारत में पिछले करीब एक महीने से जारी देशव्यापी लॉकडाउन से देश के लगभग चार करोड़ प्रवासी कामगार प्रभावित हुए हैं और इससे आंतरिक प्रवासियों की आजीविका पर असर पड़ा है. पिछले कुछ दिनों के दौरान 50-60 हजार लोग शहरी केंद्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर चले गए हैं.’
‘प्रवासी के नजरिये से कोरोना वायरस संकट’ (कोविड-19 क्राइसिस थ्रू ए माइग्रेशन लेंस) नामक रिपोर्ट के अनुसार आंतरिक प्रवास की तादाद अंतरराष्ट्रीय प्रवास के मुकाबले करीब ढाई गुना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन के चलते नौकरी छूट जाने और सामाजिक दूरी के कारण भारत और लातिन अमेरिका के कई देशों में बड़े पैमाने पर आंतरिक प्रवासियों को वापस लौटना पड़ा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह कोविड-19 की रोकथाम के उपायों ने इस महामारी को फैलाने में योगदान दिया है. विश्व बैंक ने कहा है कि सरकारों को नकदी हस्तांतरण तथा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों के जरिए इन प्रवासियों की मदद करनी चाहिए. विश्व बैंक ने कहा कि कोरोना वायरस संकट ने दक्षिण एशिया में अंतरराष्ट्रीय और आंतरिक, दोनों प्रवास को प्रभावित किया है. संकट के शुरुआती चरण में कई अंतरराष्ट्रीय प्रवासी, विशेष रूप से खाड़ी देशों से, भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश वापस गए, जब तक कि यात्रा प्रतिबंध नहीं लग गया. वहीं चीन और ईरान जैसे देशों से प्रवासियों को सरकारों ने खुद निकाला. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस संकट से पहले जहां इन क्षेत्रों से बड़ी संख्या में प्रवासी आते थे वहीं महामारी के कारण 2020 में इनकी संख्या में बड़ी गिरावट की संभावना है. भारत में विदेश जाने के लिए अनिवार्य निकासी की मांग करने वाले कम-कुशल श्रमिकों की संख्या 2019 में आठ प्रतिशत बढ़कर 3, 68,048 हो गई थी. वहीं, पाकिस्तान में विदेश जाने वालों की संख्या 2019 में 63 प्रतिशत बढ़कर 6,25,203 तक पहुंच गई थी, जिसमें अधिकतर सऊदी अरब जाने वाले थे.
उल्लेखनीय है कि आंतरिक प्रवासियों के अलावा जो विदेशों में भारतीय कामगार गये हैं, कोरोना संक्रमण की समाप्ती के बाद जब स्थिति सामान्य होगी, तब भारी संख्या में विदेशी कामगार अपनी नौकरियां गंवाने की वजह से स्वदेश लौटेंगे. इससे न केवल भारत में बेरोजगारी बढ़ेगी बल्कि इनके द्वारा होनी बाकी विदेशी मुद्रा की आय भी काफी कम होगी.
इससे पहले विश्व बैंक ने अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट ‘दक्षिण एशिया आर्थिक अपडेट : कोविड-19 का प्रभाव’ में कहा था कि घर लौट रहे प्रवासी मजदूर अप्रभावित राज्यों एवं गावों में कोरोना वायरस ले जाने वाले रोगवाहक हो सकते हैं और प्रारंभिक परिणाम दिखाते हैं कि भारत के जिन इलाकों में ये लोग लौट रहे हैं वहां भी कोविड-19 के मामले सामने आ सकते हैं.