किसान अब खेतीबाड़ी को कृषि पर्यटन सुविधा केन्द्र के रूप में तैयार कर सकेंगे. कृषि पर्यटन सुविधा केन्द्र बनाकर किसान उपज के अलावा अतिरिक्त आय भी अर्जित कर सकते हैं. प्रदेश सरकार ने इसके लिए पिछले महीने ही विधिवत नोटिफिकेशन जारी किया है. जल्द ही इसे अमलीजामा पहनाने की कवायद शुरू की जाएगी. कृषि पर्यटन सुविधा केन्द्र स्थापित करने के लिए किसानों को विधिवत एनओसी लेना होगी. इन पर्यटन केन्द्रों में खेतीबाड़ी से जुड़ी गतिविधियां ही रहेंगी जिसमें सबसे अधिक उद्यानिकी फसलों को तवज्जो दी जाएगी.
फल, फूल, मछली पालन, कला प्रदर्शनी से लेकर योगा जैसी गतिविधियां संचालित की जाएंगी. मनोरंज से जुड़ी सारी सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी. इससे किसानों की आमदनी में इजाफा होने के अलावा दूसरे किसानों भी खेती के तौर तरीके सीखने का अवसर प्राप्त होगा. उद्यान विभाग के उप संचालक केएल व्यास ने बताया कि इस संबंध में दिशा निर्देश मिलने के बाद अमल शुरू किया जाएगा.
कृषि पर्यटन सुविधा केन्द्र तैयार करने के लिए किसान के पास कम से कम 1 हेक्टेयर जमीन होना जरूरी है. नोटिफिकेशन जारी कर 1 हेक्टेयर में पर्यटन की दृष्टि से अलग-अलग उत्पादन और स्ट्रेक्चर तैयार करना होगा. इसके लिए जमीन भी निर्धारित की गई है. एक हेक्टेयर जमीन में ढलुआ छत सहित संरचना की अधिकतम ऊंचाई 7.5 मीटर रहेगी. सभी और न्यूनतम खुला क्षेत्र 7.5 मीटर होगा. भूखंड के लिए पहुंच मार्ग की चौड़ाई भी 7.5 मीटर होगी. उद्यान विभाग की नर्सरी जहां पॉली हाउस में उगाई जाती है पौध.
कृषि फार्म, फूलोद्वान, फलोद्यान, मधु मक्खी पालन, पशुपालन, मछली पालन, सैरीकल्चर, कैंपिंग सुविधाएं, अस्तबल, कला प्रदर्शनी के लिए हॉल, पर्यटकों के लिए कॉटेज, रेस्टोरेंट, योगा हॉल, प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र, खेल सुविधा, गिफ्ट शॉप जो 50 वर्ग मीटर से नहीं होगी, रख-रखाव के लिए कर्मचारी आवास, स्वीमिंग पूल और केवल रहने वाले पर्यटकों के लिए मनोरंजन के लिए ओपन एरिया थिएटर भी रहेगा.
मप्र भूमि विकास नियम 2012 में संशोधन किया गया है. जिसके तहत राज्य सरकार मप्र नगर एवं ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 24 की उपधारा 2 के साथ गठित धारा 85 की उपधारा 1 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग में लाते हुए अधिनियम की धारा 85 की उपधारा 1 के तहत लोगों से आपत्तियां और सुझाव लेकर नियमों में संशोधन किया गया है.