केंद्र सरकार ने नकदी के संकट से जूझ रही कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की संपत्तियां बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए अंतरमंत्रालय समूह का गठन किया गया है. यह समूह कंपनी की रियल एस्टेट को चिह्नित करने व उन्हें बेचने की प्राथमिकता तय करेगा. कंपनी को आर्थिक संकट की वजह से कर्मचारियों को वेतन देने में दिक्कत हो रही है और अब तक नवंबर महीने के वेतन का भुगतान नहीं हो पाया है.
इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस समूह में निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम), दूरसंचार और बीएसएलनएल के अधिकारी शामिल होंगे. कंपनी की 40 कीमती जमीनों को चिह्नित किया गया है, जिनकी कीमत करीब 10,000 करोड़ रुपये होगी. इन्हें बेचने से कंपनी को बैलेंस शीट दुरुस्त करने में मदद मिलेगी और 4जी नेटवर्क सेवा शुरू करने के लिए उसे धन मिल सके गा, जो 2020 की दूसरी छमाही में शुरू होने की संभावना है. अगले 3 साल में कंपनी की संपत्तियों से 37,500 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है.
अक्टूबर में केंद्र सरकार ने बीएसएलएल और एमटीएनएल के लिए 69,000 करोड़ रुपये के पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी दी थी. इस पैकेज में घाटे में चल रही दोनों फर्मों का विलय, उनकी संपत्ति बेचकर धन जुटाना और कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पैकेज देना, जिससे कि दोनों इकाइयोंं को अगले 2 साल में मुनाफे में लाया जा सके.
इस बचाव पैकेज में 4जी स्पेक्ट्रम की खरीद के लिए 20,140 करोड़ रुपये, स्पेक्ट्रम आवंटन पर जीएसटी भुगतान के लिए 3,674 करोड़ रुपये, कंपनी द्वारा 15,000 करोड़ रुपये का सॉवरिन गारंटी पर कर्ज लेने और सरकार की ओर से 17,160 करोड़ रुपये का वित्तपोषण शामिल है. सॉवरिन बॉन्ड जारी करने की प्रक्रिया पुनर्गठित कर्ज व अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए होगी. यह बॉन्ड पूरी तरह से पीएसयू का होगा. हाल में घोषित स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना को सरकारी कंपनी बीएसएनएल और एमटीएनएल के 92,000 से ज्यादा कर्मचारियों ने स्वीकार कर लिया है.
बीएसएनएल के करीब 1 लाख कर्मचारी वीआरएस के पात्र हैं, जिसमें कुल करीब 1.5 लाख कर्मचारी हैं. मौजूदा योजना में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति 31 जनवरी 2020 है. किसी पात्र कर्मचारी को दी जाने वाली राशि उस कर्मचारी के पूरे हुए हर साल के 35 दिन के वेतन के बराबर राशि और शेष बचे साल के हर साल के वेतन के 25 दिन के बराबर वेतन शामिल है.
एमटीएनएल के पिछले 10 साल में 9 साल घाटा हुआ है और कंपनी 2010 से घाटे मेंं चल रही है. दोनों कंपनियों पर कर्ज 40,000 करोड़ रुपये है.