नजरबंदी से रिहाई के बाद महबूबा मुफ्ती के सख्त तेवर
जलज वर्मा
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15 Oct 2020 |
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बीते साल 5 अगस्त के बाद से नजरबंद रही जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को बीते 13 सितंबर को रिहा किया गया. रिहाई के फौरन बाद महूबबा मुफ्ती ने एक ऑडियो संदेश जारी कर अपने सख्त तेवर जाहिर कर दिए हैं. जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत महूबबा को नजरबंद किया गया था. पिछले साल नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और श्रीनगर से लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला समेत अन्य नेताओं को भी नजरबंद किया गया था. जिनमें कांग्रेस के भी कुछ नेता शामिल थे. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बीते 13 सितंबर को महूबबा मुफ्ती की नजरबंदी पीएसए के तहत खत्म कर दी.
अपनी रिहाई के बाद महबूबा ने 1.23 मिनट का ऑडियो संदेश जारी किया है और कहा कि, "मैं आज एक साल से भी ज्यादा अरसे के बाद रिहा हुई हूं. इस दौरान 5 अगस्त, 2019 के काले दिन का काला फैसला, हर पल मेरे दिल और रूह पर वार करता है और मुझे अहसास है कि यही कैफियत जम्मू-कश्मीर के तमाम लोगों की रही होगी. हम में से कोई भी शख्स उस दिन की डाकाजनी और बेइज्जती को कतई भूल नहीं सकता."
केंद्र सरकार पर अनुच्छेद 370 खत्म करने को लेकर हमला करते हुए उन्होंने आगे कहा, "अब हम सबको यह इरादा करना होगा कि दिल्ली दरबार ने 5 अगस्त को जो गैर-कानूनी, गैर-लोकतांत्रिक तरीके से हमसे हमारा हक छीन लिया, उसे वापस लेना होगा. बल्कि उसके साथ-साथ मसले कश्मीर, जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर में हजारों लोगों ने अपनी जानें न्योछावर कीं, उसको हल करने के लिए हमें अपनी जद्दोजहद जारी रखनी होगी. मैं मानती हूं कि ये राह कतई आसान नहीं होगी लेकिन मुझे यकीन है कि हम सब हौसला बनाए रखेंगे."
ट्विटर पर जारी ऑडियो संदेश में मुफ्ती ने देशभर की जेलों में बंद जम्मू-कश्मीर के लोगों को रिहा करने की भी मांग की. महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर की अकेली ऐसी बड़ी नेता थीं, जिन्हें इतने लंबे समय तक हिरासत में रखा गया था. पीडीपी के कार्यकर्ता अपनी नेता की रिहाई से खुश हैं और आगे की रणनीति बनाने में जुट गए हैं.
महबूबा मुफ्ती की रिहाई का स्वागत कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने किया है. कांग्रेस के नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट कर मुफ्ती के नजरबंदी से रिहा होने पर खुशी जताई है. वहीं उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट कर कहा, "मुझे यह सुनकर खुशी हुई कि महबूबा मुफ्ती को एक साल से भी अधिक समय तक हिरासत में रखे जाने के बाद रिहा किया गया. उनको लगातार हिरासत में रखना एक मजाक था और लोकतंत्र के बुनियादी उसूलों के खिलाफ था."
बीते 31 जुलाई को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पीएसए के तहत महबूबा की नजरंबदी को तीन महीने और बढ़ा दिया था. महबूबा की रिहाई से आने वाले दिनों में घाटी में नई सियासी रणनीति बनती दिख रही है. ऐसी संभावना है कि तमाम दल केंद्र के फैसले के खिलाफ लामबंद होंगे. महबूबा जब नजरबंद की गईं थी तब उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती ही ट्विटर के जरिए उनकी बात रख रही थीं और सरकार के फैसले की आलोचना करती थीं. उन्होंने पूरे समय ट्विटर के माध्यम से देश और दुनिया भर में अपनी मां की आवाज पहुंचाई.
इल्तिजा ने ही महबूबा को हिरासत में रखे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और दो दिन बाद इस मामले पर सुनवाई भी होने वाली थी. पिछली सुनवाई 29 सितंबर को हुई थी और कोर्ट ने सवाल किया था कि और कितने समय के लिए उन्हें हिरासत में रखा जाएगा. एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सुनवाई के लिए जवाब तैयार था लेकिन फैसला लिया गया कि उन्हें अगली सुनवाई से पहले ही रिहा कर देना बेहतर है.
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