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संदीप कुमार

 |   31 Dec 2024 |   24
Culttoday

देसी बीजों का रखवाला

80 हजार किलोमीटर घूमकर एक युवा किसान ने 300 दुर्लभ फल-सब्जियों के 300 प्रजातियों के बीज बचाएं हैं। यह कहानी है 32 साल के बीज रक्षक सलाई अरुण की। तमिलनाडु के एक छोटे से गांव मंगलम के रहने वाले अरुण ने अपनी सारी जमा पूंजी लगाकर 300 से अधिक दुर्लभ सब्जियों का देसी बीज बैंक बनाया।

अरुण को बचपन से ही खेती से लगाव था छोटी उम्र में माँ को खोने के बाद वह अपने दादा-दादी के साथ पले-बढ़े और अक्सर अपने दादा को खेती में मदद किया करते थे। लेकिन खेती से उनका प्यार जुनून में तब बदला जब वह 2011 में जैविक कृषि वैज्ञानिक जी नम्मालवर से मिले अरुण ने उनसे ट्रेनिंग ली और एक्सपर्ट बनकर दूसरे किसानों को जैविक खेती सिखाने में लग गए। इस दौरान अरुण ने देखा कि किसानों के पास उगाने के लिए देसी सब्जियों के बीज हैं ही नहीं इसी चिंता के साथ साल 2021 में उन्होंने देशभर में घूमकर बीज इकट्ठा करने का मन बनाया।

सिनेमा के ज़रिये भारत की सॉफ्ट पावर को राज कपूर ने दिया था नया आयाम

राज कपूर ने भारतीय सिनेमा के माध्यम से न केवल देश की सांस्कृतिक पहचान को सशक्त किया, बल्कि विदेशों में भारत की सॉफ्ट पावर को भी बढ़ाया। 1955 में आई उनकी फिल्म 'श्री 420' का मशहूर गीत 'मेरा जूता है जापानी' उस समय के भारतीय समाज की वास्तविकता और आकांक्षाओं को दर्शाता है। गीतकार शैलेंद्र द्वारा रचित इस गीत ने एक ऐसे भारतीय की छवि पेश की, जो भले ही बाहरी तौर पर विदेशी प्रभावों से घिरा हो, लेकिन उसके दिल में हमेशा भारत बसता है। 'श्री 420' की कहानी सिर्फ़ एक फिल्म नहीं थी, बल्कि यह उस दौर के भारतीयों की संघर्षपूर्ण यात्रा को चित्रित करती थी, जो नई आजादी और आर्थिक संकट के बीच जी रहे थे। राज कपूर ने अपनी फिल्मों के माध्यम से दुनिया को बताया कि भारतीयों के पास भले ही संसाधनों की कमी हो, लेकिन उनके दिलों में अपने देश के प्रति गर्व कभी कम नहीं होता।

क्यों गलत था यस मैडम का पब्लिसिटी स्टंट

यस मैडम लोगों का ध्यान खींचने के लिए झूठ बोलने वाली पहली कंपनी नहीं है। पहले भी ऐसे मामले सामने आते रहे हैं। लेकिन इससे मार्केटिंग की नैतिकता पर सवाल खड़े होते हैं कि क्या लोकप्रिय होने के लिए झूठ बोलना जायज है? पाइरेट्स ऑफ दी कैरेबियन फिल्म के हिंदी डब वर्जन में जैक स्पैरो का किरदार एक डायलॉग बोलता है- बदनाम होंगे तो क्या नाम ना होगा। कई कंपनियां अपने प्रचार के लिए यही तरीका अपना रही हैं। भले ही कोई बेतुकी या हैरान करने वाली क्यों ना हो।

शिक्षा में AI पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं विशेषज्ञ

एडटेक सेक्टर यानी शिक्षा से जुड़ी तकनीक का क्षेत्र कोविड महामारी के दौरान तेजी से बढ़ा। उस समय स्कूल बंद थे और बच्चे घर पर स्क्रीन के सामने पढ़ाई कर रहे थे। इसलिए तकनीकी समाधानों की मांग में भी भारी तेजी देखी गई। जब स्कूल फिर से खुले, तो मांग कम हो गई। इसके बाद एडटेक कंपनियों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जोड़कर और मार्केटिंग के जरिए निवेशकों को लुभाने की कोशिश की। माइक्रोसॉफ्ट, मेटा और ओपनएआई जैसी बड़ी कंपनियां भी स्कूलों के लिए अपने एआई प्रोडक्ट्स प्रमोट कर रही हैं या स्टार्टअप्स के साथ पार्टनरशिप कर रही हैं। माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में पहला एआई प्रोग्राम शुरू किया है।

महिला सुरक्षा कानूनों का कितना हो रहा है गलत इस्तेमाल?

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर उनसे जबरन वसूली करने का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में बताया कि पहले तो उनके खिलाफ दहेज संबंधी उत्पीड़न का झूठा मामला दायर किया गया और फिर उस मामले को वापस लेने के लिए उनसे पैसे मांगे गए। सुभाष ने एक जज का भी नाम लिया और कहा कि वो इस साजिश में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी और ससुराल वालों ने उन्हें बहुत परेशान कर दिया है और इस परेशानी को खत्म करने के लिए जान देने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है।

क्या है ओसीसीआरपी, जिससे नाराज है बीजेपी?

बीजेपी ने फ्रांस की मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के हवाले से आरोप लगाया है कि ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) को अमेरिका की 'एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट' और उद्योगपति जॉर्ज सोरोस जैसे कथित 'अन्य डीप स्टेट किरदारों' से फंडिंग मिलती है।

ऑफिस वर्कर्स के लिए कानून बना रहे हैं कुछ राज्य

महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों की सरकारें अब ऑफिस कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सख्त नियमों और निरीक्षण की योजना बना रही हैं। यह कदम अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) की एक युवा कर्मचारी की मौत के बाद उठाया गया है। परिवार ने इस मौत का कारण अत्यधिक काम और दबाव बताया है। भारत में लंबे समय से श्रम कानूनों का केंद्र केवल श्रमिक वर्ग रहा है। वाइट-कॉलर कर्मचारियों के लिए इस तरह की सुरक्षा नदारद है, जिससे वे अधिक काम, और बर्खास्तगी जैसी समस्याओं का सामना करते हैं।

'एक देश, एक चुनाव' योजना के अनसुलझे सवाल

मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि केंद्रीय कैबिनेट ने 'एक देश, एक चुनाव' योजना से संबंधित दो विधेयकों को मंजूरी दे दी है। इन विधेयकों को संसद के इसी सत्र के दौरान लोकसभा में लाया जा सकता है। हालांकि, अभी तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। करीब तीन महीने पहले कैबिनेट ने इस विषय पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित की गई उच्च-स्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूर कर लिया था। बताया जा रहा है कि दोनों विधेयकों में इस समिति द्वारा दिए गए फॉर्मूले के मुताबिक प्रावधान डाले गए हैं।' एक देश, एक चुनाव' बीजेपी की काफी महत्वाकांक्षी योजना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ साल पहले इसका प्रस्ताव रखा था और तब से उन्होंने अलग-अलग मौकों पर कई बार इसका जिक्र किया है। इसके तहत देश में लोकसभा चुनावों, सभी विधानसभाओं के चुनावों और सभी पंचायत/नगर निगम चुनावों को एक साथ करवाने की योजना है। इन विधेयकों के जरिए संविधान के कम-से-कम पांच अनुच्छेदों में संशोधन किया जाएगा।

संभल की मस्जिद के बारे में पुरातत्व विभाग के दावों पर सवाल

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई संभल स्थित शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण मामले में अदालत में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। एएसआई ने अपने हलफनामे में कहा है कि मस्जिद में कई तरह के अवैध निर्माण किए गए और नियमित तौर पर होने वाले निरीक्षणों के दौरान एएसआई की टीम को कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। एएसआई के मुताबिक, संभल की जामा मस्जिद को साल 1920 में एक संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था।

असम में होटल, रेस्तरां और सार्वजनिक जगहों पर बीफ खाने पर बैन

असम सरकार ने तत्काल प्रभाव से सार्वजनिक रूप से गोमांस खाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस संबंध में 5 दिसंबर को एक्स पर एक बयान पोस्ट किया। इसमें उन्होंने लिखा, 'असम में हमने फैसला किया है कि किसी भी रेस्तरां या होटल में गोमांस नहीं परोसा जाएगा, न ही किसी सार्वजनिक समारोह या सार्वजनिक स्थान पर इसकी इजाजत दी जाएगी। इसलिए आज से हमने होटलों, रेस्तरां और सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस के उपभोग को पूरी तरह से बैन करने का फैसला किया है।' मुख्यमंत्री ने आगे लिखा, 'असम में हमने गोहत्या को रोकने के लिए तीन साल पहले कानून बनाया था, उस कानून के लागू होने से काफी सफलता मिली है।'

 


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