2024 के अंत तक, भारत के सबसे धनी और सबसे कम संपत्ति वाले मुख्यमंत्रियों की सूची सामने आ चुकी है। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अपने विश्लेषण के आधार पर यह रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू 931 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति के साथ देश के सबसे अमीर मुख्यमंत्री हैं। उनके बाद अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू (332.57 करोड़ रुपये) और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (51.94 करोड़ रुपये) का स्थान है।
मुख्यमंत्रियों की संपत्ति का विश्लेषण
- एन. चंद्रबाबू नायडू (आंध्र प्रदेश) - 931 करोड़ रुपये
- पेमा खांडू (अरुणाचल प्रदेश) - 332.57 करोड़ रुपये
- सिद्धारमैया (कर्नाटक) - 51.94 करोड़ रुपये
- पिनाराई विजयन (केरल) - 1.19 करोड़ रुपये
- ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल) - 15.38 लाख रुपये
- उमर अब्दुल्ला (जम्मू-कश्मीर) - 55.24 लाख रुपये
सबसे 'गरीब' मुख्यमंत्री कौन हैं?
सबसे कम संपत्ति वाले मुख्यमंत्रियों में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी का नाम आता है, जिनकी कुल संपत्ति मात्र 15.38 लाख रुपये है। उनके बाद जम्मू-कश्मीर के उमर अब्दुल्ला हैं, जिनकी संपत्ति 55.24 लाख रुपये है।
सबसे बुजुर्ग मुख्यमंत्री
- पिनाराई विजयन (केरल) - 77 वर्ष
- सिद्धारमैया (कर्नाटक) - 75 वर्ष
- एन. चंद्रबाबू नायडू (आंध्र प्रदेश) - 74 वर्ष
देनदारियों का मामला
देनदारियों के मामले में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू 180.28 करोड़ रुपये के साथ सबसे आगे हैं। उनके बाद कर्नाटक के सिद्धारमैया (23.77 करोड़ रुपये) और आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू (10.32 करोड़ रुपये) हैं।
आपराधिक मामलों से जुड़े मुख्यमंत्री
31 मुख्यमंत्रियों में से 13 (42%) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इनमें चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ 19 मामले दर्ज हैं, जिनमें भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत 32 गंभीर आरोप शामिल हैं। इन आरोपों में भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश, सार्वजनिक सुरक्षा का उल्लंघन, और एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के उल्लंघन जैसे अपराध शामिल हैं।
विश्लेषण का आधार
यह रिपोर्ट मुख्यमंत्रियों द्वारा भारत के चुनाव आयोग को जमा किए गए हलफनामों पर आधारित है। इसमें उनकी संपत्ति, देनदारी और आपराधिक मामलों का विस्तृत आकलन किया गया है।
निष्कर्ष
इस रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्रियों की संपत्ति और देनदारी में बड़ा अंतर है। जहां कुछ मुख्यमंत्री अत्यधिक संपत्ति के मालिक हैं, वहीं कुछ के पास न्यूनतम संपत्ति है। यह रिपोर्ट देश में पारदर्शिता और जिम्मेदारी की आवश्यकता को रेखांकित करती है।