अंबपाली द्वारा आयोजित “दिवाली हाट 2025 – परंपरा से रौशन प्रगति पथ” का भव्य शुभारंभ नाबार्ड के नई दिल्ली क्षेत्रीय कार्यालय के सहयोग से एम्पोरिया कॉम्प्लेक्स, बाबा खड़क सिंह मार्ग, कनॉट प्लेस में किया गया। इस अवसर पर जीएनसीटीडी के स्पेशल डेवलपमेंट कमिशनर (डीईवी), हेमंत कुमार, एक्जिम बैंक के मुख्य महाप्रबंधक लोकेश कुमार, एसएलबीसी के महाप्रबंधक एवं समन्वयक राजेश कुमार, साधन के कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ जीजी मेमन, एएफसी इंडिया लिमिटेड के मशर जी, नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के महाप्रबंधक नबीन रॉय मौंजूद थे। यह दस दिवसीय उत्सव 15 से 25 अक्टूबर तक चलेगा और इसमें देश के 15 राज्यों से आए 100 से अधिक शिल्पकार, स्वयं सहायता समूह और किसान उत्पादक संगठन भाग ले रहे हैं। आयोजक संस्था अंबपाली की अध्यक्षा अर्चना सिंह का कहना है कि “दिवाली हाट केवल प्रदर्शनी नहीं, बल्कि एक ऐसा पुल है जो शिल्प, परंपरा और नवाचार को आमजन से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि यहाँ आकर लगता है कि भारत के हर कोने से आए ग्रामीण उत्पादक अपने हस्तनिर्मित उत्पादों के साथ-साथ अपने-अपने क्षेत्र की आत्मा को लेकर आए हैं। हमारी कोशिश है कि इस मंच से उन्हें वह पहचान मिले जिसकी वे लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहे थे।”
नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के महाप्रबंधक नबीन राय ने कहा कि इस पहल के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और शिल्पकारों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान में मदद करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “जब शिल्पकार जगमगाते हैं, तभी भारत भी चमकता है। यह हाट न केवल परंपरा को संरक्षित करता है बल्कि ग्रामीण युवाओं और कारीगरों को रोजगार और सशक्तिकरण का मंच भी प्रदान करता है।”
इस हाट का उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, पारंपरिक शिल्पकला और भौगोलिक संकेतक उत्पादों को एक ही मंच पर प्रदर्शित करना है। दीपावली के इस पावन अवसर पर यह पहल ग्रामीण शिल्पकारों के जीवन में उजाला भरने का प्रयास है, जो अपनी कला से घरों को रंग, रोशनी और परंपरा से सजाते हैं। आयोजन के माध्यम से ग्रामीण उत्पादकों को अपने हस्तनिर्मित उत्पादों का विपणन करने और उपभोक्ताओं से सीधे जुड़ने का सशक्त अवसर मिलता है।
इस दिवाली हाट में आगंतुकों को जैविक मिलेट्स, गुड़, देसी घी, मसाले, केसर, सूखे मेवे के साथ-साथ हस्तनिर्मित पश्मीना, महेश्वरी और चंदेरी साड़ियाँ, मुगा सिल्क, ज़री कार्य और वारली पेंटिंग्स देखने और खरीदने का अवसर मिलेगा। प्रत्येक स्टॉल भारत की परंपरा, स्थिरता और पीढ़ियों से चली आ रही कला की कहानी बयाँ करता है।
कार्यक्रम के दौरान विशेष सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें विभिन्न राज्यों की लोक कलाएँ और नृत्य रूप प्रस्तुत किए जाएंगे। इस उत्सव की शोभा केंद्रीय और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों, बैंक प्रतिनिधियों, शिल्पकारों, विशिष्ट अतिथियों और आमजन की उपस्थिति से और बढ़ गई।
नाबार्ड के इस दिवाली हाट को केवल एक व्यापारिक मंच नहीं बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ग्रामीण सशक्तिकरण की रोशन पहल के रूप में देखा जा रहा है। यह आयोजन ग्रामीण शिल्पकारों के लिए अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने, विपणन बढ़ाने और उनके व्यवसाय को सुदृढ़ करने का अवसर प्रदान करता है।
आयोजन की विशेषता है कि यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच सेतु का काम करता है। उपभोक्ताओं को स्थानीय और पारंपरिक उत्पादों की गुणवत्ता और विविधता का अनुभव मिलता है, वहीं शिल्पकारों को अपने उत्पादों का प्रत्यक्ष मूल्यांकन और नए बाजार तलाशने का अवसर मिलता है।
नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी ने बताया कि इस पहल के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और शिल्पकारों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान में मदद करने का प्रयास किया जा रहा है। इस दस दिवसीय हाट में आने वाले आगंतुकों को पारंपरिक व्यंजन, हस्तशिल्प वस्तुएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से भारत की विविधता का जीवंत अनुभव मिलेगा। नाबार्ड की यह पहल ग्रामीण भारत की समृद्ध परंपरा और नवाचार को उजागर करते हुए हर घर में समृद्धि और खुशहाली का दीप जलाने का संदेश देती है।