अखिल भारतीय किसान महासंघ (एआईएफए) के राष्ट्रीय संयोजक राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि मजूदा कृषि संकट और किसानों के कल्याण के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करना आवश्यक है. वह आईसीएफए की 13 जून 2017, नई दिल्ली में आयोजित बोर्ड की बैठक को संबोधित कर रहे थे. एआईएफए, भारत के प्रमुख 44 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय किसान संगठनों का पूर्णत: गैरराजनैतिक समूह हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर किसानों की आवाज का प्रतिनिधित्व करता है.
किसी भी प्रकार की हिंसा से बचने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए, एआईएफए ने किसानों के वास्तविक उद्देश्य के साथ सहानुभूति व्यक्त की और चल रहे आंदोलन में किसानों के नुकसान पर पीड़ा महसूस की. एआईएएफ का विश्वास है कि उच्च पदाधिकारियों द्वारा आंदोलनकारी किसान परिवारों के संकट को मार्मिकता एवं सहानुभूति से समझने और उन्हें सहारा देने की आवश्यकता है. हालांकि, कृषि समुदाय के मौजूदा संकट में योगदान देने वाली कई दुखद वास्तविकताएं हैं, परन्तु स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों की स्वीकृति में सभी तरह के खेत उपजों के उचित लाभकारी मूल्य का आश्वासन देना अत्यंत अनिवार्य है. इसके अलावा, राज्य से राज्य के बीच अंतर, कृषि उत्पाद की अनियमित कीमतें और किसानों के नियंत्रण से परे कई अन्य कारकों के कारण कर्ज के बढ़ते बोझ में तत्काल राहत के लिए,उपचार की बजाय ऋण छूट में समान वितरण की आवश्यकता है.
एआईएफए इस कठिन समय पर राष्ट्र निर्माण के लिए महत्वपूर्ण कृषि समुदाय की सामूहिक ऊर्जा को सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ाने के लिए तत्पर और प्रयत्नशील है. आज की बैठक में इसकी तात्कालिक कार्ययोजना तैयार की गई, इस तारतम्य में अगला कदम उठाने के परिपेक्ष्य में "शिवाजी " के जन्मस्थली शिवनेरी, जुन्नार महाराष्ट्र में इसी 19-20 जून को एक बैठक कर विस्तृत कार्ययोजना की रूपरेखा तय की जायेगी.
डॉ0 त्रिपाठी और आईसीएफए अध्यक्ष, डॉ0 एम जे खान ने 12 अगस्त 2017 को नई दिल्ली में किसानों के राष्ट्रीय सम्मेलन की घोषणा करते हुए सभी 44 संबद्ध किसान संगठनों और अन्य सभी किसान संगठनों को राष्ट्रीय कार्यावली तैयार करने के लिए आमंत्रित किया है. इस राष्ट्रीय सम्मलेन का मुख्य उद्देश्य किसानों के लिए सरकार से स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की स्वीकृति की मांग होगा. इसके अतिरिक्त, कृषि मंत्रालय के तहत किसान कल्याण के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की याचिका भी दी जायेगी, जैसा कि 15 अगस्त, 2015 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा मंत्रालय के नाम परिवर्तन की घोषणा की गई थी.