मोदी युग के बाद की तैयारी

संदीप कुमार

 |  01 Aug 2025 |   71
Culttoday

नरेंद्र मोदी की नीतियों की आलोचना अगर किसी प्रमुख हिंदुत्ववादी नेता की ओर से आए, तो यह अभूतपूर्व है। लेकिन राम माधव की नई किताब में व्यक्त विचारों को उनकी भूमिका के संदर्भ में आत्मालोचना भी माना जा सकता है।
राम माधव जो भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े वरिष्ठ नेता हैं, उनकी नई किताब 'द न्यू वर्ल्ड: 21st सेंचुरी ग्लोबल ऑर्डर एंड इंडिया' तीन स्तरों पर पढ़ी जा सकती है।
पहले हिस्से में वे मानव इतिहास की एक सामान्य सी कहानी सुनाते हैं, जो वर्णनात्मक है और यहां उसकी चर्चा नहीं की गई है। लेकिन दूसरे हिस्से में जब वे भारत पर बात करते हैं, तो अपने दृष्टिकोण को काफी दिलचस्प ढंग से सामने रखते हैं। वे भारत के 'महाशक्ति' बनने की संभावनाओं पर संशय जताते हैं, सरकारी नीतियों की अप्रत्यक्ष आलोचना करते हैं, और पहली बार किसी संघ-नेता द्वारा कांग्रेस की विरासत को आंशिक रूप से पुनर्स्थापित करने का प्रयास करते हैं।
हिंदुत्व और 'नेशनल कंज़र्वेटिविज़्म' : राम माधव को आज हिंदू राष्ट्रवाद के 'ऑर्गेनिक इंटेलेक्चुअल' के रूप में देखा जाता है। लेकिन किताब में न तो सावरकर का ज़िक्र है, न ही संघ या इसके सहयोगी संगठनों का। उनका प्रयास हिंदुत्व को 'नेशनल कंज़र्वेटिविज़्म' के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में एक संस्करण के रूप में पेश करने का है, एक ऐसी विचारधारा जो दुनिया भर में लोकप्रिय हो रही है।
वे दावा करते हैं कि 'हिंदू और यूनानी सभ्यताओं' ने ईसा पूर्व में नैतिक व्यवस्था की नींव रखी। उसी दौरान 'हिंदुओं ने वेदों, उपनिषदों और शास्त्रों के ज़रिए एक श्रेष्ठ सामाजिक व्यवस्था की स्थापना की'। वे भारत को पहले सहस्त्राब्दी में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बताते हैं, यह अनदेखा करते हुए कि भारत की आर्थिक समृद्धि मुग़ल काल में चरम पर थी। लेकिन उनके लिए इस पतन का कारण है: 'पहले मुग़लों और मध्य एशियाई आक्रमणकारियों द्वारा उपनिवेशवाद और फिर अंग्रेजों द्वारा 800 साल तक किया गया शोषण'।
सेमेटिक धर्मों के खिलाफ वैचारिक आक्रोश : माधव के अनुसार, भारत की प्राचीन समृद्धि का कारण 'हिंदू धर्म की सहिष्णुता' है, जबकि इस्लाम और ईसाइयत ने दुनिया को 'धर्मकेंद्रित तानाशाही में धकेल दिया', एक ऐसी व्यवस्था जिसमें 'धर्म के विरोध में कुछ भी नहीं टिक पाया'। यह कथन उस विरोधाभास को दर्शाता है कि हिंदुत्व में 'धर्म' की बात तो होती है, लेकिन हिंदू को एक जातीय पहचान के रूप में देखा जाता है, जो कि 'आर्य पूर्वजों' की संतान हैं और भारत 'पुण्यभूमि' है। इस दृष्टिकोण की तुलना यहूदियों की ज़ायोनिस्ट पहचान से की जा सकती है।
भारत का कूटनीतिक स्वप्न और विरोधाभास : राम माधव भारत को 'ब्रांड भारत' के रूप में वैश्विक मंच पर पेश करने की बात करते हैं और कहते हैं कि 'सॉफ्ट पावर का युग बीत गया है, अब स्मार्ट पावर का समय है'। लेकिन वे यह भी स्वीकार करते हैं कि इस दिशा में प्रगति बहुत सीमित रही है। वे भारत के संभावित साझेदारों की परिभाषा 'साझा दुश्मनों' के आधार पर करते हैं - जैसे 'लिबरल्स', 'कल्चरल मार्क्सिस्ट्स', 'इस्लामिस्ट्स', 'वोक एक्टिविस्ट्स' और NGOs। जॉर्ज सोरोस का ज़िक्र डर के प्रतीक के रूप में आता है, जिसे किसान आंदोलन और अदानी विवाद जैसे मुद्दों से जोड़ कर देखा जाता है।
'धर्मतंत्र' का विचार और सामाजिक संरचना का समर्थन : माधव के अनुसार भारत को 'धर्मतंत्र' (Dharmocracy) की ओर बढ़ना चाहिए— 'डेमोक्रेसी, द भारत वे'। इसका अर्थ है कि सत्ता जनता को जवाबदेह नहीं बल्कि धर्म को होगी - जैसा कि ब्राह्मण राजगुरु करते थे। यह एक प्रकार की हिंदू थिओक्रेसी की वकालत है। इतना ही नहीं, वे जाति व्यवस्था को भी भारत की 'विविधता' के अंग के रूप में वैध ठहराते हैं: 'भारत की जातीय, भाषायी और धार्मिक विविधता उसे रंग-बिरंगी और उत्सवधर्मी बनाती है'। मुसलमानों के साथ भेदभाव की बात को नकारते हुए वे जनसंख्या वृद्धि (7।81%) को अल्पसंख्यकों की 'सुविधा' का प्रमाण मानते हैं, जो एक सतही और भ्रामक सामाजिक विश्लेषण है।
प्रगतिशीलता पर संदेह और आत्मालोचना
किताब का दूसरा हिस्सा, जो भारत की विदेश नीति, रक्षा, और तकनीकी विकास पर केंद्रित है, चौंकाने वाली ईमानदारी से भरा है। मोदी सरकार की उपलब्धियों के संदर्भ में माधव सिर्फ प्रतीकों की बात करते हैं - जैसे सेंगोल का संसद में स्थापना करना, जबकि तकनीकी, आर्थिक और सैन्य क्षेत्रों में गंभीर कमियां गिनाते हैं।
वे कहते हैं कि भारत में:
•    'रिसर्च और इनोवेशन की संस्कृति नहीं है।'
•    'इंजीनियर्स की बजाय 'इमैजिनियर्स' चाहिए।'
•    'प्रतिलिपि करना नवाचार नहीं है, और नकल करना रचनात्मकता नहीं है।'
•    वे भारत की शिक्षा, R&D, क्वांटम टेक्नोलॉजी, रक्षा उत्पादन (जैसे तेजस लड़ाकू विमान), और नौसेना की कमजोरियों की गंभीर आलोचना करते हैं।
राम माधव की किताब का शायद सबसे चौंकाने वाला पक्ष है - कांग्रेस नेताओं की बार-बार की गई तारीफ:
•    नेहरू की नेपाल और श्रीलंका में कूटनीति की प्रशंसा
•    इंदिरा गांधी द्वारा बांग्लादेश की स्वतंत्रता में योगदान
•    नरसिंह राव की लुक ईस्ट नीति
•    मनमोहन सिंह की Indian Ocean Naval Symposium पहल
यह आंशिक स्वीकृति बताती है कि मोदी सरकार की विदेश नीति ने अब तक जो हासिल किया है, वह बेहद सीमित है।
'ब्रांड भारत' का स्वप्न और यथार्थ के बीच द्वंद्व : राम माधव अंततः स्वीकारते हैं कि भारत की 'डेमोग्राफिक डिविडेंड' एक भ्रम बन सकती है, अगर स्किलिंग, इनोवेशन, और रोजगार के क्षेत्र में निर्णायक हस्तक्षेप न किया जाए। वे लाल बहादुर शास्त्री को उद्धृत करते हैं - 'हम तभी दुनिया का सम्मान प्राप्त कर सकते हैं जब हम आंतरिक रूप से मजबूत हों और गरीबी-बेरोजगारी को दूर करें।' यह शायद यह संकेत है कि भाजपा को पहचान की राजनीति से ऊपर उठकर सामाजिक-आर्थिक समावेशन की ओर बढ़ना चाहिए। 

यह आलेख https://www।harkaraonline.com पर प्रकाशित है।


Browse By Tags

RECENT NEWS

अलविदा MiG-21! छह दशकों की अमर गाथा
एयर मार्शल अनिल चोपड़ा (सेवानिवृत्त) |  30 Sep 2025  |  30
संपादकीय - अस्थिर दुनिया, स्थिर भारत
श्रीराजेश, संपादक |  30 Sep 2025  |  22
मोदीयाना (आवरण कथा)
श्रीराजेश |  01 Aug 2025  |  86
मोदी युग के बाद की तैयारी
क्रिस्टोफ़ जैफ़रलो |  01 Aug 2025  |  71
अमेरिका : एकाकी राह
अनवर हुसैन |  01 Aug 2025  |  186
अमेरिकी टैरिफ़ः 'विरोध' नहीं, 'विवेक'
श्रीराजेश, संपादक |  01 Aug 2025  |  49
भारत की रणनीतिक हकीकत
श्रीराजेश |  30 Jun 2025  |  184
रेयर अर्थ: अगली क्रांति की चाबी
धनिष्ठा डे |  19 Jun 2025  |  80
आज से ट्रंप राज
श्रीराजेश |  20 Jan 2025  |  102
चले गए मन-मोहन
दीपक कुमार |  08 Jan 2025  |  104
क्या ट्रंप भारत-रूस की मित्रता को तोड़ सकते हैं?
आर्यमान निज्हावन, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के शोधकर्ता और विश्लेषक |  27 Dec 2024  |  134
एक देश एक चुनाव : ज़रूरत या महज़ एक जुमला
पंडित पीके तिवारी |  27 Nov 2020  |  502
To contribute an article to CULT CURRENT or enquire about us, please write to cultcurrent@gmail.com . If you want to comment on an article, please post your comment on the relevant story page.
All content © Cult Current, unless otherwise noted or attributed. CULT CURRENT is published by the URJAS MEDIA VENTURE, this is registered under UDHYOG AADHAR-UDYAM-WB-14-0119166 (Govt. of India)