किसी का जिस्मानी तौर से इस दुनिया से चले जाने का मतलब यह नहीं है कि वो मर गया, कोई मरता तब है, जब उसकी सोच मर जाती है. यूं तो हिंदुस्तान की सरजमीं पर अनेक महापुरुष आये और गए लेकिन उन्होंने अपनी सोच के माध्यम से समाज को एक नई दिशा प्रदान की.
सर सय्यद जैसी अज़ीम शख्सियत को मुर्दा कहने का मतलब है कि पूरी दुनिया के गोशे-गोशे में समाए अलीगेरियन के समाजी, मज़हबी और इंसानियत के काम को दरकिनार करना, जितने भी दुनियां में सक्सेस अलीगेरियन हैं वो ही सर सय्यद के ख्वाबों के असली पैरोकार है. वो ही सर सय्यद के ख्वाबों की ताबीर करते हुए नज़र आते हैं. उनका मकसद केवल एक ही होता है कि किसी तरह से सर सय्यद के तालीमी मिशन को आगे बढ़ाया जाए, पूरी दुनियां का अंधेरा अगर मिट सकता है तो वो केवल तालीम ही है. मगर अफसोस मौजूदा समय में हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा अनपढ़ लोग रहते हैं, अगर कुछ देर के लिए मान लिया जाए कि सर सय्यद मुसलमानों के तालीमी मसीहा थे फिर भी हिंदुस्तान में आज मुसलमान ही तालीमी तौर पर सबसे ज्यादा पिछड़े हुए हैं. जिसकी ज़िंदा मिसाल सच्चर कमेटी की सिफारिशें और स्वामी रंगनाथ मिश्रा की रिपोर्ट्स है. जिनके जरिए हम समझ सकते है कि किस तरीके से तालीम ना होने की वजह से हम पूरी दुनिया में पिछड़ रहे हैं.
पूरी दुनिया के अलीगेरियन को फिर से समझना होगा कि आखिर क्या वजह है हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक में शुमार मुस्लिम कौम क्यों तालीम में इतनी पिछड़ गयी जबकि जैन, सिक्ख और पारसी का तालीमी ग्राफ देखा जाए वो अक्सरियत से भी ज्यादा है.
जिन लोगों ने सर सय्यद को मुर्दा मान लिया है. उनसे मेरी कोई तवक्को नहीं है बल्कि जो सर सय्यद की सोच को ज़िंदा रखते हैं और सर सय्यद को ज़िंदा मानते हैं वो लोग जिस भी गांव, मोहल्ले, कस्बे, शहर और देश मे हैं वही से सर सय्यद के मिशन को शुरू कर दो..अगर आपकी माली हक़ीक़त इस काबिल है कि आप कुछ गरीबों को पढा सकते हैं, उसके हिंदुस्तान की दूसरी यूनिवर्सिटी में भेज सकते हैं, उसका खर्चा उठा सकते हैं तो यही सर सय्यद के लिए सच्ची खिराजे अक़ीदत होगी... अगर एक अलीगेरियन अपनी ज़िंदगी में दो गरीबों को पढा देगा तो यकीनन बहुत जल्दी हमारे मुआशयरे में बदलाव नज़र आना शुरू हो जाएंगे...अलीगेरियन में सबसे अच्छी बात यह भी है कि इनके ओल्ड बॉयज पूरी दुनिया में रहते हैं और जहां भी रहते हैं उनका अमल, दखल वहां की सियासी, मज़हबी या महासी हालात में ज़रूर रहता है. जिससे वो ज्यादा से ज्यादा अपने बहनों, भाइयो को फायदा पहुंचा सकते हैं और सर सय्यद के जानशीन बन सकते हैं ... दुनिया में बहुत से ऐसे अलीगेरियन हैं जो दुनिया में जाने माने लोग हैं और वो लोग इस काम को बहुत ज़िम्मेदारी से कर भी रहे हैं. उनको मुबारकबाद, जो अभी नहीं जागे हैं उनको जगाने की ज़रूरत है... सर सय्यद के नाम से हर शहर में एक ओल्ड बॉयज एसोसिएशन है. उनका काम केवल सर सय्यद डे मनाकर बिरयानी, कोरमा खाना नहीं है बल्कि वहां पर गरीबों, मजदूरों के बच्चों को सस्ती तालीम देना भी है. जिससे वो लोग समाज को नया रुख दे सके, तालीमयाफ्ता हो जाएंगे तो यकीनन गरीबी भी दूर हो जाएगी.....वतन भी तरक़्क़ी करेगा.. आजकल हिंदुस्तान में एक ट्रैंड चल रहा है जिसको हिन्दू-मुस्लिम डिबेट कहते है उससे भी खास बचने की ज़रूरत है हमे वतन के लिए आगे बढ़ना है हम सब भाई-भाई हैं.
आज से हर अलीगेरियन खुद से वादा करे कि वो अपनी ज़िंदगी में एक गरीब लड़का और लड़की को अपने पैसे से पढ़ायेगा जिससे सर सय्यद को मुर्दा समझने वालों को ठोस जवाब भी मिलेगा और उनकी सोच को आगे बढ़ाने का मौका भी मिलेगा.
हिंदुस्तान में अल्लाह ने सर सय्यद के ज़रिए कम से कम 2 लाख लोगों को तीन वक़्त का खाना मुहैया कराया, यह उन लोगों पर भी करारा तमाचा है जो वसीले का इनकार करते हैं.