दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों के लिए "पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना" की घोषणा की है। इस योजना के तहत सरकार बनने पर पुजारियों और ग्रंथियों को हर महीने ₹18,000 का मानदेय दिया जाएगा। लेकिन इस घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस पर तीखा हमला किया है।
बीजेपी ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से केजरीवाल की तस्वीर पोस्ट कर उन्हें "चुनावी हिंदू" कहा। साथ ही सवाल उठाया कि क्या उन्हें पुजारियों और ग्रंथियों की याद केवल चुनाव के समय ही आती है।
बीजेपी का हमला
बीजेपी ने पोस्ट में केजरीवाल पर निशाना साधते हुए लिखा:
- "जो 10 साल से इमामों को सैलरी देता रहा।"
- "जिसकी राजनीति हिंदू विरोधी रही है।"
- "जिसने मंदिरों और गुरुद्वारों के बाहर शराब के ठेके खोले।"
- "जिसे प्रभु श्रीराम का मंदिर बनने की खुशी नहीं थी।"
बीजेपी ने सवाल किया कि आखिर चुनाव से ठीक पहले ही इस तरह की योजनाओं की घोषणा क्यों की जाती है।
30 दिसंबर को अरविंद केजरीवाल ने इस योजना की घोषणा की। इसके तहत दिल्ली के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने ₹18,000 की आर्थिक सहायता दी जाएगी। केजरीवाल ने कहा कि यह योजना धार्मिक नेताओं के प्रति सम्मान और समर्थन का प्रतीक है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
केजरीवाल ने अपील की कि बीजेपी इस योजना को बाधित करने की कोशिश न करे, जैसा कि महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना के साथ हुआ।
यह योजना चुनावी राजनीति के केंद्र में आ गई है, जहां एक ओर इसे धार्मिक नेताओं को आर्थिक सहायता देने का प्रयास बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे चुनावी चाल के रूप में देखा जा रहा है।