भारतीय दूरसंचार जगत की निर्विवाद चैंपियन रही भारती एयरटेल ने पिछले कुछ वर्षों में तेजी से उभरीं अपनी प्रतिद्वंद्वियों रिलायंस जियो और वोडाफोन-आइडिया का मुकाबला करने के लिए चौतरफा रणनीति अपनाई है. कंपनी को उम्मीद है कि इस रणनीति पर चलकर वह जल्द ही अग्रणी स्थान हासिल कर लेगी.
पहली, एयरटेल 4जी स्मार्टफोन धारकों के बाजार में अव्वल स्थान हासिल करने पर अपनी नजरें टिकाए हुए है. एयरटेल स्पेक्ट्रम के पुनर्वितरण एवं मोबाइल टावरों को फाइबर नेटवर्क से जोडऩे की आक्रामक शैली से जियो को अपदस्थ करने की मुहिम में लगी हुई है. अनुमानों के मुताबिक रिलायंस जियो हर महीने करीब 40-50 लाख 4जी ग्राहकों को अपने साथ जोड़ रही है. दूसरी, वोडा-आइडिया के ग्राहकों को अपने पाले में लाकर एयरटेल पोस्टपेड ग्राहकों के मामले में भी पहला स्थान हासिल करना चाहती है. वोडाफोन और आइडिया के विलय के बाद बनी कंपनी को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और एयरटेल इसका फायदा उठाना चाहती है. पहले वोडा-आइडिया की पोस्टपेड बाजार में सम्मिलित हिस्सेदारी 55 फीसदी थी जबकि बाकी हिस्सा एयरटेल के पास था. लेकिन अब यह फासला कम हो रहा है.
फिलहाल एयरटेल पेमेंट बैंक के करीब तीन करोड़ ग्राहक हैं और हर महीने 7,000 करोड़ रुपये का लेनदेन कर रहे हैं. इसकी नजर ग्रामीण एवं कस्बाई इलाकों पर टिकी हुई है जहां पर उसका वितरण आधार काफी मजबूत है. इसके अलावा शहरों में रहने वाले प्रवासी श्रमिकों के बीच भी पेमेंट बैंक की उपयोगिता बनी हुई है.
चौथी रणनीति, एयरटेल ने ग्राहक पिरामिड के निचले पायदान पर मौजूद ग्राहकों की संख्या को कम करने का भी फैसला किया है. इसके लिए उसने न्यूनतम रिचार्ज शुल्क को बढ़ाकर 35 रुपये करने की तरकीब अपनाई है. एयरटेल के 10 करोड़ से अधिक उपभोक्ता ऐसे हैं जो महीने भर में 10 रुपये से भी कम का रिचार्ज करवाते हैं.
एयरटेल अधिकारियों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या होने के बावजूद उनसे मिलने वाला राजस्व बहुत कम होता है जबकि सेवा मुहैया कराने पर लागत अधिक आती है. इसी पहलू को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने न्यूनतम रिचार्ज शुल्क बढ़ा दिया है.
हालांकि 5जी स्पेक्ट्रम के प्रति कंपनी अधिक इच्छुक नहीं दिख रही है और इसके लिए बोली लगाने की भी उसकी मंशा नहीं है. एयरटेल अपने टॉवरों को फाइबर से जोडऩे का काम भी तेजी से कर रही है. यह काम अगले साल मार्च तक पूरा हो जाने की उम्मीद है.
कंपनी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वह एफटीटीएच सेवाओं के मामले में जियो की तरह आक्रामक रवैया नहीं अपना रही है. एयरटेल का मानना है कि भारतीय उपभोक्ता दूरसंचार एवं ब्रॉडबैंड सेवाओं पर अपनी मासिक आय का 1.5 फीसदी ही खर्च करते हैं लिहाजा एफटीटीएच जैसी सेवा लेने के लिए उनकी सालान आय 15 लाख रुपये होनी चाहिए.