सत्यम, शिवम, सुंदरम है मोदी जीत 

जलज वर्मा

 |  11 Mar 2017 |   27
Culttoday

एक अभूतपूर्व, अतुलनीय , अद्भुत, अकल्पनीय, अस्वाभाविक, अविस्मरणी, अकाट्य जीत


न राम, न भगवा, जनता की लहर. जनता की जज्बातों की लहर. चल गया नमो का जादू. न हाथी है, न अखिलेश है, यह अब मोदी का प्रदेश है... उत्तरप्रदेश-उत्तराखंड मं  कमल खिला. मोदी लहर बड़ी हो गई है राम लहर से. कुछ लोगों का मानना यही है कि राम, विकास से बड़ी हो गई है मोदी लहर. खैर, तर्क चाहे जितने भी दें, लेकिन जीत तो जीत ही होती है. ऐसा माना जा रहा है कि जात, पात, नफरत की दीवारों को तोड़ कर लोगों ने अपना मत दिया. लोगों का मोदी पर भरोसा एक बार फिर दिखा. एक तरह से इसे जनता लहर भी कह सकते हैं. अब यदि यह कहें कि उत्तरप्रदेश के आसमान में वोटों के बादल फट पड़े, तो शायद गलत नहीं होगा. 
मेरा मानना यह है -- जो कर्मठ, डेडिकेटेड, ईमानदार और निर्लोभी होते हैं, ब्रह्मा, बिष्णु, महेश भी उनसे डरते हैं, तो आम आदमी की क्या औकात है. ब्रह्मा, बिष्णु, महेश भी उनकी राह में नहीं आते. वे एक दूसरे से इशारे से कहते हैं कि जाने दे यार, जो चाहे करने दे, नहीं तो जनता हमें माफी नहींकरेगी. पीएम मोदी ने जीतकर दिखा दिया और इसी वजह से आज मोदी की हर जगह जय जयकार हो रही है. सत्यम, शिवम, सुंदरम है मोदी की यह जीत. उन्होंने भाजपा को जीत दिलाकर यह साबित कर दिया कि हमारी नैतिक प्रकृति जितनी उन्नत होती है, उतना ही उच्च हमारा प्रत्यक्ष अनुभव और संकल्प होता है, और उतनी ही हमारी इच्छा शक्ति और संकल्न शक्ति अधिक बलवती होती है. सच तो यही है कि दृढ़ इच्छा शक्ति के बिना इतनी बड़ी जीत हासिल करना नामुमकिन था. पीएम मोदी जब बोलते हैं कि हमें करना है और करके दिखा देना है, तो उनकी आवाज में एक शक्ति दिखती है, एक संकल्प, एक सच्चाई, एक ईमानदारी दिखती है, एक जज्बा दिखता है, एक जुनून दिखता है. एक महापुरुष की वाणी झलकती है. दरअसल, उन्हें पता है कि हम सभी मरेंगे - साधु या असाधु, धनी या दरिद्र- बेईमान या ईमानदार - सभी मरेंगे. चिर काल तक किसी का शरीर नहीं रहेगा. अतएव उनकी अंतरात्मा ने उन्हें कहा होगा कि उठो, जागो और संपूर्ण रूप से निष्कपट हो जाओ दुष्टों का दमन करो, और शिष्टों को यानी गरीबों को सही स्थान पर बैठाओ. भारत में घोर कपट समा गया है. ऐसे में चाहिए चरित्र, चाहिए इस तरह की दृढ़ता और चरित्र का बल, जिससे मनुष्य आजीवन दृढ़व्रत बन सके. और हमें लगता है कि ये सारे गुण मोदी में हैं, शायद इसीलिए वे निडर और बिना कोई द्विधाबोध के यह जीत हासिल कर पाये. 

गुरु नानक ने कहा था 
कर्म भूमि पर फल के लिए श्रम सबको करना पड़ता है
रब सिर्फ़ लकीरें देता है रंग हमको भरना पड़ता है.

जी हां, पीएम मोदी ने अपने हाथ में लिखी लकीरों में रंग भर दिया है. दरअसल, निष्काम कर्म, ज्ञान से श्रेष्ठ है और सरल भी. कोई भी व्यक्ति क्षण भर के लिए भी कर्म किए बिना नहीं रह सकता. प्रकृति के स्वाभाविक गुणों से विवश होकर प्रत्येक को कुछ न कुछ कर्म करना ही पड़ता है. जीवन के रहते हुए कर्म से बचना असंभव है. हम सब यह जानते हैं कि मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं. संकल्प लिया, और करके दिखाया. मोदी ने भी इतिहास की धारा को बदल दिया. 
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं, कल्ट करंट का इससे सहमत होना अनिवार्य नहीं हैं, लेखक दैनिक राष्ट्रीय उजाला के कार्यकारी संपादक हैं.)
 


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