उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए जिन नामों की चर्चा है, उसमें एक नाम पूर्व मंत्री यशवंत सिंह का भी है. कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की चली तो उत्तर प्रदेश के इस कद्दावर नेता का इस बार राज्यसभा में जाना तय है.
ज्ञात हो कि श्री यशवंत सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए अपनी एमएलसी की सीट खाली कर दी थी . उस समय उनका तकरीबन पूरा कार्यकाल शेष था. मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ इसी सीट से विधान परिषद के सदस्य बने. इसलिए कहा जा रहा है कि अब इनाम के रूप में भारतीय जनता पार्टी उन्हें राज्यसभा में भेजेगी.
उल्लेखनीय है राज्यसभा की 58 सीटों के लिए 23 मार्च को इलेक्शन होना है. जिन 58 सीटों पर चुनाव होने हैं. इसमें सबसे ज्यादा 10 सीटें यूपी की हैं . इन 10 सीटों में से 6 सीटें सपा और 2 सीटें बसपा के पास थीं . सुश्री मायावती के इस्तीफा देने के बाद से यह एक सीट भी खाली है . 1-1 सीटें कांग्रेस और बीजेपी के पास हैं .
2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिले अपार बहुमत के कारण ये माना जा रहा है कि इन 10 सीटों में एक 8 सीटें बीजेपी के खाते में आसानी से जाएंगी, जबकि सपा को एक सीट मिलेगी. वहीं, 1 सीट को लेकर कांटे की टक्कर है. अगर इस एक सीट के लिए विपक्ष एकजुट होता हो तभी ये सीट विपक्ष के खाते में जा सकती है. वैसे इसे भी जीतने की पूरी कोशिश करेगी.
इसलिए कहा जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले यूपी में विपक्ष और पक्ष की ताकत का दसवीं सीट पर जीत एक बड़ा टेस्ट है.
इसलिए विपक्ष भी मिलकर प्रयास करेगा. जवाब में भाजपा भी केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली को गुजरात की बजाय उत्तप्रदेश से राज्यसभा भेजने के गणित पर भी विचार कर रही है .
अरुण जेटली बीजेपी के बड़े नेता हैं. टीम मोदी में जेटली अहम माने जाते हैं . ऐसे में उनका उत्तर प्रदेश से राज्यसभा जाना तय है. इसी प्रकार केंद्रीय मंत्री श्री रविशंकर, संगठन के आचार्य श्री रामलाल, हरियाणा के प्रभारी अनिल जैन, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री लक्ष्मी शंकर वाजपई, राम मंदिर आंदोलन के नेता विनय कटियार, पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह, भाजपा के प्रवक्ता श्री सुधांशु मित्तल, श्री विजय सोनकर या विद्यासागर सोनकर का नाम भी उत्तर प्रदेश में राज्यसभा में जाने वालों चर्चा में है. इन्हीं चर्चाओं में पूर्व मंत्री श्री यशवंत सिंह का भी नाम है. उनकी पहचान सूबे में एक कद्दावर नेता के रूप में हैं. वह दो बार विधायक, तीन बार एमएलसी और राज्य में मंत्री रहे हैं . वह पूर्व प्रधानमंत्री श्री चन्द्रशेखर के अनुयाई हैं. वह 1975 में आपातकाल के विरोध में 18 महीने जेल में रहे थे. जेल से निकलने के बाद वह 1984 में पहली बार मुबारकपुर से जनता पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन महज कुछ वोटो से हार गये. लेकिन 1989 में वे वहां से जीते .
वह समाजवादी पार्टी में भी काफी मजबूत स्थिति में थे. योगी आदित्य नाथ के मुख्यमंत्री होने के बाद प्रदेश का सियासी समीकरण बदला. इसी बदलाव में श्री सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के लिए अपनी सीट छोड़ दी. इसलिए चर्चा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की चली तो यशवंत सिंह का राज्यसभा में जाना तय है.