सत्ता लोकलुभावन घोषणाएं कर उसका राजनीतिक लाभ लेने का कोई मौका नहीं गंवाती. लाभ लेना और वादे पूरा न करना भारतीय राजनीति में कोई नहीं बात नहीं है, लेकिन कोरोना संकट के दौरान भी सरकारें अगर ऐसा करती है, तो यह शर्मनाक है. दिल्ली सरकार द्वारा गरीबों को मुफ्त राशन देने के वादे के बाद भी उन्हें राशन नहीं मिल पा रहा है, लिहाजा बीते 10 दिनों के भीतर दिल्ली हाईकोर्ट को दूसरी बार दिल्ली सरकार को कहना पड़ा कि वह हर भूखे को अनाज उपलब्ध कराएं.
राजधानी दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान परेशान गरीबों को मुफ्त राशन देने की योजना मुश्किलों का सामना कर रही है. दिल्ली रोजी रोटी अधिकार अभियान के अनुसार कहीं राशन का बंटवारा करने वाले सेंटर बंद हैं तो कहीं अनाज ही नहीं है.जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि उनकी सरकार राजधानी में सभी गरीबों को अनाज दे रही है चाहे उनके पास राशन कार्ड ना भी हों लेकिन हकीकत यह है कि सरकारी दावों में कई छेद हैं.
दिल्ली सरकार ने ई-कूपन योजना शुरू की है. ई-कूपन योजना उन गरीबों के लिए है जिनके पास अभी राशन कार्ड नहीं है. इसके तहत प्रति व्यक्ति 5 किलो राशन के अलावा हर ई-कूपन पर एक कुकिंग-किट भी मुफ्त दी जानी है जिसमें एक लीटर रिफाइंड तेल, एक किलो चना, एक किलो नमक और मसाले के साथ 2 साबुन की टिकिया शामिल है. लॉकडाउन के दौर में गरीबों के लिए ई-कूपन मुफ्त राशन पाने का एक रास्ता है जिसमें आधार नंबर के जरिये दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर आवेदन करना होता है. आवेदन के बाद एक मैसेज के जरिये प्रार्थी को बताया जाता है कि उसे राशन कहां से मिलेगा. इसके लिए प्रार्थी के पास कम्प्यूटर या स्मार्ट फोन होना चाहिए और इंटरनेट का कनेक्शन भी चाहिए. हर गरीब के पास यह संसाधन होना मुमकिन नहीं है.
जमीनी स्थिति यह है कि बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके पास न तो कंप्यूटर है और न ही हर किसी के पास स्मार्ट फोन. लेकिन फिर भी लोग अड़ोसी-पड़ोसी या किसी सामाजिक कार्यकर्ता की मदद से आवेदन कर ही रहे हैं. असली दिक्कत है कि वेबसाइट पर आवेदन के बाद भी बात आगे नहीं बढ़ रही. लोग साइबर कैफे से भी आवेदन कर रहे हैं, इसके लिए साइबर कैफे वाले 50 से 100 रुपये वसूल रहे हैं. लोगों का कहना है कि आवेदन के बावजूद अब तक बहुत से लोगों को अनाज नहीं मिल पाया है. कई लोगों को तो आवेदन किये तीन सप्ताह से ज्यादा हो गया है लेकिन उन्हें अब तक राशन नहीं मिल सका है. हालांकि कुछ खुशकिस्मत लोग हैं जिन्हें राशन मिला है लेकिन सबकी किस्मत ऐसी नहीं है.
डीडब्ल्यू के एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में रहने वाली श्वेता झा ने ई-कूपन के लिए 4 अप्रैल को दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर आवेदन किया. 16 अप्रैल को उन्हें अनाज लेने के लिए मैसेज आया और उसी दिन दोपहर 2 बजे तक आदर्श नगर सेंटर से राशन लेने को कहा गया. जब तक वह संदेश देख पाती देर हो चुकी थी. श्वेता के पति विकास कहते हैं कि - "यह कैसे मुमकिन है कि लॉकडाउन में जब इतनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो जिस दिन मैसेज आए उसी दिन हम अनाज ले लें.” विकास ने आवेदन की तारीख से लेकर अब तक के तमाम स्क्रीन शॉट दिखाए जिससे पता चलता है कि ई-कूपन की प्रक्रिया सुचारु नहीं है. वेबसाइट न खुलने से लेकर आवेदन को लगातार प्रोसेसिंग में दिखाया जाना आम शिकायत है. श्वेता के पति विकास झा का कहना है कि ई-कूपन के प्रार्थियों की जानकारी वेबसाइट पर न होना और शिकायत निवारण (ग्रीवांस रीड्रेसल) की व्यवस्था न होना बड़े सवाल हैं.
ई-कूपन के जरिये राशन बांटने के लिए दिल्ली सरकार ने 473 स्कूलों में सेंटर बनाए हैं. भोजन के अधिकार के लिए काम कर रहे दिल्ली रोजी रोटी अधिकार अभियान के कार्यकर्ताओं ने 29 अप्रैल से 4 मई के बीच इन 20 स्कूलों का मुआयना किया. अभियान की रिपोर्ट कहती है कि 20 में से 5 स्कूल बंद पाए गए. एक स्कूल में तय मात्रा से कम अनाज दिया जा रहा था और किसी भी स्कूल में अनाज के साथ कुकिंग किट नहीं दी जा रही थी. अभियान की रिपोर्ट के मुताबिक किसी स्कूल में ई-कूपन पर मिलने वाले अनाज को लेकर कोई नोटिस नहीं लगा और न ही इस बात की जानकारी है कि ई-कूपन के लिए कैसे आवेदन किया जाए. इसके अलावा शिकायत निवारण के लिए भी लोगों को कोई जानकारी इन स्कूलों में नहीं लगाई गई है.
इस अभियान से जुड़ी आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज कहती हैं कि दिल्ली हाइकोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि किसी भी भूखे व्यक्ति को अनाज से वंचित न रखा जाए. इसलिए जरूरी है कि ई-कूपन इस तरह से दिए जाएं कि कोई भी जरूरतमंद इस सिस्टम के बाहर न छूट जाए. भारद्वाज कहती है कि स्मार्ट फोन, इंटरनेट और ओटीपी आदि पर टिका सिस्टम हाशिये पर खड़े आदमी के लिए इस कठिन समय पर एक बड़ी बाधा है. "ई-कूपन किसको दिए गए हैं यह लिस्ट कहीं पब्लिक डोमेन में जारी नहीं की गई है. इसमें किसका नाम आया है या नहीं आया है इसे लेकर कोई पारदर्शिता नहीं है.
उधर दिल्ली सरकार का कहना है कि वह हर व्यक्ति तक पहुंच रही है. मुख्यमंत्री केजरीवाल का कहना है कि अनाज के जरूरी चीजों का वितरण भी शुरू हो गया है. राशन वितरण की प्रक्रिया से जुड़े दिल्ली सरकार के अधिकारी का कहना, "ऐसा नहीं है कि (ई-कूपन के जरिये) लोगों को राशन नहीं मिल रहा लेकिन यह जरूर है कि देरी हो रही है. लोगों ने बड़ी संख्या में आवेदन किए हैं जैसे जैसे अनाज उपलब्ध होता है ई-कूपन आवेदकों को वह दिया जा रहा है. बहरहाल, सरकार के अपने दावे औऱ जमीनी हकीकत कुछ औऱ ही बयां कर रहे हैं.