जब से देश में कोरोना संकट की वजह से लॉकडाउन शुरू हुआ और इससे ठप पड़ गई अर्थव्यस्था को पुनः पटरी पर लाने के लिए यह सबने उम्मीद की थी कि केंद्र सरकार कोई विशेष कदम उठायेगी. 27 मार्च को केंद्र सरकार की ओर से 1.7 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की गई थी, लेकिन स्थितियां लगातार जटिल होती जा रही थी, ऐसे में अर्थशास्त्री यह उम्मीद कर रहे थे कि 6-7 लाख करोड़ रुपये का एक बड़ा राहत पैकेज सरकार को देना चाहिए. हालांकि राहत पैकेज की घोषणा में हो रही देरी बेचैनी बढ़ा रही थी. लेकिन 12 मई की रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में 20 लाख करोड़ रुपये के एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की, जिसमें पहले के किये गये 1.7 लाख करोड़ भी शामिल है, और यह लगभग देश के जीडीपी का 10 फीसदी है. हालांकि इस पैकेज का प्रारूप क्या होगा, यह आने वाले दिनों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बतायेगी. लेकिन प्रधानमंत्री की इस घोषणा से भारतवासियों के चेहरे पर छायी उदासी क्षीण हुई है.
प्रधानमंत्री के अनुसार इसमें लैंड, लेबर, लिक्वीडिटी, लॉ के ख्याल तो रखा ही गया है, साथ ही आधार स्तंभ के रूप में हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोले उद्योग, हमारे एमएसएमई के लिए हैं, जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन है, जो आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का मज़बूत आधार है.
प्रधानमंत्री ने देश में रिफार्म्स की बात की है. यह सही है कि हम जिस दौर में आज खड़े है. उससे उबरने के लिए बोल्ड निर्णय करने पड़ेंगे. इस आर्थिक पैकेज का उपयोग करते हुए हमें अपने व्यवस्थागत खामियों में सुधार के साथ बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने सप्लाई चेन को दुरुस्त करते हुए अपनी विविधता के महत्व को पहचान के आर्थिक विकास की नई इबारत लिखनी होगी.
प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था में इंक्रीमेंटल चेंज नहीं बल्कि क्वांटम जंप की बात कही. अगर अपनी अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी लाने नहीं बल्कि विश्व में एख बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरना है तो इस संकट में व्याप्त अवसरों का लाभ लेकर हमें क्वांटम जंप करनी होगी. उन्होंने ‘लोकल’ के प्रति वोकल होने का आह्वान कर अप्रत्यक्ष शब्दों में चीनी उत्पादों को दरकिनार करते हुए कुटिर उद्योगों को मजबूत करने का आह्वान किया. बगैर देशी उत्पादों के हम एक बड़ी अर्थव्यवस्था की कल्पना नहीं कर सकते.
इस पैकेज का उद्योग जगत से लेकर हर तबके ने स्वागत किया है. हालांकि विपक्षी दल अभी कुछ भी स्पष्ट ना होने के बावजूद इस पैकेज में मिनमेख का रास्ता तलाश रहे हैं. हालांकि यह सही भी इसी में लोकतंत्र की वाइब्रेशन झलकती है. लेकिन विपक्ष को यह ध्यान रखना होगा कि विरोध के नाम पर वे कोई ऐसा विरोध ना करे जिससे देश की लड़खड़ायी अर्थव्स्था को इसे पैकेज से लाभ के बदले कही ज्यादा नुकसान ना उठाना पड़े. विपक्ष को अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सरकार के गलत निर्मयों का विरोध करना होगा तो वहीं सही निर्णयों में उसे सरकार के साथ सहयोग की भूमिका भी निभानी होगी. वर्तमान दौर संभल कर इस संकट से निकलने का है.
प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन के चौथे चरण की भी एक प्रकार से घोषणा कर दी है. हालांकि यह कितने दिनों का होगा या इसके प्रारूप क्या होंगे. यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा. लेकिन इतना तय है कि चौथे चरण का लॉकडाउन आर्थिक गतिविधियों ठप करने के बजाय गति देगा.