आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के असदुद्दीन ओवैसी हमेशा सुर्ख़ियों में रहते हैं. कोई इनकी इसलिए तारीफ करता है कि मुसलमान में ऐसे ही तेज़ और बोलने वाले नेता की ज़रुरत है तो कोई कहता है कि यह हर वह काम करते हैं जिस से भाजपा को फायदा पहुंचता है. जब ओवैसी ने पहले भी या अब भी बिहार में चुनाव लड़ने का एलान किया तो एक तरफ जहाँ बहुत से लोगों ने उनके फैसले को सही ठहराया और कहा कि मुसलमान कब तक दूसरों का झोला ढोता रहेगा वहीँ बहुत से ऐसे लोग भी थे जिन्होंने कहा कि ओवैसी ने एक बार फिर गेम कर दिया और वह महागठबंधन के उम्मीदवार को नुकसान पहुंचाने के लिए ही अपना उम्मीदवार खड़ा कर रहे हैं.
अब जबकि बिहार चुनाव के नतीजे आ गए हैं तो ओवैसी की पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए बिहार में पांच सीटें जीत ली हैं. यह ओवैसी की पार्टी का बहुत ही शनदार प्रदर्शन कहा जा सकता है. मजलिस की शानदार जीत के बाद भी लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया है कि ओवैसी ने भले ही पांच सीट जीत ली हो मगर उनकी वजह से महागठबंधन के कई उम्मीदवार हार गए और इस तरह उन्होंने एक तरह से हमेशा की तरह भाजपा की मदद की.
आइये यहाँ हम उन सीटों पर नज़र डालते हैं जहाँ ओवैसी के उम्मीदवार थे और यह जानने की कोशिश करते हैं कि क्या वाक़ई में ओवैसी ने ऐसा ही किया और क्या वह वाक़ई भाजपा के एजेंट हैं ? पहले बात उन सीटों की जहाँ आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने जीत हासिल की. पूर्णिया की आमोर सीट की बात करें तो यहाँ अख्तरुल ईमान को 94459 वोट मिले और जनता दाल यूनाइटेड की सबा ज़फर को 41944 वोट हासिल किये. कांग्रेस के अब्दुल जलील मस्तान तीसरे नंबर पर रहे. बहादुर गंज से मोहम्मद इंतज़ार नईमी ने 85855 वोट हासिल किये और जीत हासिल की. दूसरे नंबर पर रहने वाले विकासशील इंसान पार्टी के लखन लाल पंडित को 40640 वोट मिले. यहाँ तीसरे नंबर पर कांग्रेस के मुहम्मद तौसीफ आलम रहे जिनको 30204 वोट मिले.
कोचाधामन में मोहम्मद इज़हार आसफी ने 79893 वोट हासिल किये और जीत हासिल की. दूसरे नंबर पर जनता दल यूनाइटेड के मुजाहिद आलम रहे जिनको 43750 मिले. तीसरे नंबर पर रहने वाले राष्ट्रीय जनता दल के मुहम्मद शाहिद आलम को 26134 मिले. जोकीहाट सीट पर मजलिस के शाहनवाज़ ने अपने ही भाई सरफ़राज़ को हराया. शाहनवाज़ ने 59596 वोट हासिल किये जबकि सरफ़राज़ को 52213 वोट मिले. तीसरे नंबर पर रहने वाले भाजपा के रंजीत यादव को 48933 मिले. बैंसी से मजलिस के रुकनुद्दीन अहमद ने 68416 वोट हासिल करके जीत हासिल की. दूसरे नंबर पर भाजपा के विनोद कुमार रहे जिनको 52043 वोट मिले. राष्ट्रीय जनता दल के अब्दुस सुब्हान ने 38254 वोट हासिल किये और तीसरे नंबर पर रहे.
इस तरह यहाँ हम ने देखा कि जिन पांच सीटों पर मजलिस को जीत मिली वहां मजलिस के उम्मीदवार ने दो जगह पर जनता दल यूनाइटेड को हराया और एक-एक सीट पर राष्ट्रीय जनता दल, भाजपा और वी आई पी के उम्मीदवार मजलिस के उम्मीदवार से हारे. अब बहुत से लोग यह कह रहे हैं कि मजलिस के अगर इन पांच सीटों पर उम्मीदवार ही नहीं होते तो यहाँ महागठबंधन के उम्मीदवार को जीत हासिल होती.
अब उन सीटों की बात की जाये जहाँ मजलिस के उम्मीदवार जीत तो नहीं सके मगर उन पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने महागठभंधन को कमज़ोर करने या हराने में अपना रोल अदा किया और एन डी ए को लाभ पहुँचाया. सिक्टा से मजलिस को उम्मीदवार रिज़वान रियाज़ी को 8519 वोट मिले जबकि यहाँ से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के बीरेंदर प्रसाद गुप्ता ने 49075 वोट लेकर जीत हासिल की. छातापुर सीट पर भाजपा के नीरज कुमार सिंह ने 93755 वोट हासिल किये और राष्ट्रीय जनता दाल के विपिन कुमार सिंह को हराया. विपिन को 73120 वोट मिले. यहाँ मजलिस के उम्मीदवार आलम को सिर्फ 1990 वोट मिले. नरपतगंज से भाजपा के जयप्रकाश यादव जीते जिन्होंने 98397 हासिल किये. दूसरे नंबर पर रहने वाले राजद के यादव ने 69787 वोट हासिल किये. यहाँ मजलिस के उम्मीदवार हदीस को मात्र 5495 वोट मिले.
रानीगंज से जनता दल यूनाइटेड के अश्मित ऋषिदेव ने 81901 वोट हासिल किये और जीत हासिल की. उनके निकटतम प्रतिद्वंदी राजद के अविनाश मंगलम को 79597 मिले. यहां से मजलिस की उम्मीदवार रौशन देवी को 2412 वोट मिले. इस सीट पर कहा जा सकता है कि अगर रौशन देवी को यह वोट नहीं मिलता तो नतीजा कुछ बदल सकता था. अररिया से कांग्रेस के अब्दुर्रहमान जीते जिन्होंने बड़े अंतर से जनता दल यूनाइटेड को उम्मीदवर को हराया. यहाँ मजलिस के उम्मीदवार राशिद अनवर को सिर्फ 8924 मिले. किशनगंज से कांग्रेस के इजहारुल हसन 61078 वोट लाकर जीतने में सफल रहे. भाजपा की स्विटी सिंह 59697 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहीं. यहाँ मजलिस के उम्मीदवार कमरुल हुदा 41904 वोट लाकर तीसरे नंबर पर रहे. इस सीट पर अगर कांग्रेस हारती और भाजपा को जीत मिलती तो ओवैसी की पार्टी को ज़िम्मेदार ठहराया जाता. क़स्बा से कांग्रेस के मोहम्मद रफ़ीक़ आलम 77410 वोट ला कर जीतने में सफल रहे. लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदीप कुमार दास 60132 ला कार दूसरे नंबर पर रहे. यहाँ मजलिस के उम्मीदवार शाहबाज़ आलम को 5316 वोट मिले. प्राणपुर से भाजपा की निशा सिंह ने 79974 वोट हासिल किये और 77002 वोट हासिल करने वाले कांग्रेस के तौक़ीर को हराया. यहाँ मजलिस के उम्मीदवार हसन महमूद अहमद को मात्र 508 वोट मिले. अगर यह वोट कांग्रेस के उम्मीदवार को जाता तो भी वह नहीं जीत पाते.
मनिहारी से कांग्रेस के मनोहर प्रसाद सिंह 83032 वोट लाकर सफल रहे उन्होंने 61823 वोट लाने वाले जनता दल यूनाइटेड के शंभु कुमार को हराया. यहाँ मजलिस के उम्मीदवार गुरेटी मुर्मू को सिर्फ 2475 वोट मिले. बरारी से जनता दल यूनाइटेड के विजय सिंह को 81752 वोट मिले और उन्होंने जीत हासिल की. दूसरे नंबर पर राजद के नीरज कुमार रहे जिनको 71314 वोट मिले. यहाँ मजलिस के उम्मीदवार राकेश कुमार रौशन को 6598 वोट मिले. इस सीट पर कुछ हद तक कह सकते हैं कि मजलिस ने राजद का खेल ख़राब किया. वैसे यहाँ नोटा को भी 3652 वोट मिले. ठाकुर गंज से राजद के सऊद आलम 79909 वोट लेकर जीतने में सफल रहे. यहाँ दूसरे नंबर पर आज़ाद उम्मीदवार रहे. इस सीट पर मजलिस के उम्मीदवार महबूब आलम को 18925 वोट मिले.
साहेबगंज से वीआईपी के राजू कुमार सिंह को 81203 वोट मिले और उन्होंने 65870 वोट हासिल करने वाले राजद के रामविचार राय को हराया. यहाँ मजलिस के उम्मीदवार मुक़ीम को 4055 वोट मिले. यहाँ भी राजद की हार में मजलिस का कोई रोल नहीं है. साहेबपुर कमाल से राजद के ललन ने 64888 वोट हासिल किये और जीत हासिल की. यहाँ दूसरे नंबर पर जनता दल यूनाइटेड के अमर सिंह रहे जिन्होंने 50663 वोट हासिल किये. यहाँ मजलिस के उम्मीदवार गोरे लाल रे को 7933 वोट मिले. फुलवारी से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के गोपाल रविदास जीते. उनको 91124 वोट मिले. दूसरे नंबर पर रहने वाले अरुण मांझी को 77267 वोट मिले. यहाँ से मजलिस की उम्मीदवार कुमारी प्रतिभा को 5019 वोट मिले. शेरघाटी से राजद के मंजू अग्रवाल को 61804 वोट मिले और उनको जीत मिली. जनतादल यूनाइटेड के विनोद प्रसाद यादव 45114 के साथ दूसरे नंबर पर रहे. इस सीट पर मजलिस के उम्मीदवार मसरूर आलम 14987 वोट लाने में सफल रहे.
यहाँ हमने जिन 20 सीटों पर गौर किया जहाँ मजलिस के उम्मीदवार थे उनमें पांच पर तो मजलिस ने शानदार जीत हासिल की और बाक़ी पंद्रह सीटों में से महागठबंधन को 9 और एनडीए को 6 सीटों पर जीत मिली है. अब इस आंकड़े के बाद यह कैसे कहा जाये कि ओवैसी की पार्टी ने बिहार चुनाव में वोट काटने का काम किया जिस से महागठबंधन का बहुत नुकसान हुआ.