'साइकिल' की दावेदारी पर सस्पेंस कायम, फैसला सुरक्षित

जलज वर्मा

 |  13 Jan 2017 |   31
Culttoday

उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के भीतर मची अंदरुनी कलह के बीच शुक्रवार का दिन पार्टी के लिए काफी अहम रहा. सुलह की कोशिशों के बीच चुनाव चिन्‍ह 'साइकिल' किसकी होगी, इसका फैसला आज चुनाव आयोग को करना था. आयोग में 'साइकिल' को लेकर काफी देर सुनवाई चली और चुनाव आयोग ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

मुलायम सिंह गुट का दावा है कि मुलायम सिंह ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और पार्टी सिंबल पर इनका ही हक है उन्होंने कहा कि रामगोपाल पार्टी से बाहर हैं और उन्हें सम्मेलन बुलाने का हक ही नहीं है.

वहीं अखिलेश गुट  का दावा है कि समाजवादी पार्टी के ज्यादातर समर्थक अखिलेश के साथ हैं इसलिए पार्टी सिंबल पर अखिलेश गुट का ही हक है.

जानकारी के अनुसार, मुलायम सिंह यादव अपना पक्ष रखने आज सुबह चुनाव आयोग पहुंचे. उनके साथ शिवपाल और अंबिका चौधरी भी मौजूद थे. वहीं, अखिलेश की ओर से रामगोपाल चुनाव आयोग पहुंचे. आयोग में समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्‍ह साइकिल को लेकर सुनवाई हुई. अखिलेश गुट ने चुनाव आयोग में अपना पक्ष रख दिया और मुलायम गुट ने भी इस मामले में अपना पक्ष रखा.

बता दें कि समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले दोनों गुटों की ओर से पार्टी के चुनाव चिह्न साइकिल पर दावा किए जाने के बीच चुनाव आयोग ने सुनवाई के लिए शुक्रवार (13 जनवरी) की तारीख तय की थी.

आयोग इस विवाद को 17 जनवरी के पहले सुलझाना चाहता है. उत्तर प्रदेश में विधानसभा के पहले चरण का चुनाव 11 फरवरी को होना है और इसके लिए नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत 17 जनवरी को होगी. अखिलेश खेमे ने सपा के सांसदों, विधायकों और प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर वाले हलफनामे आयोग को सौंपे हैं जबकि दूसरे खेमे का दावा है कि पार्टी के संविधान के अनुसार मुलायम सिंह यादव अब भी पार्टी के प्रमुख हैं.

अगर चुनाव आयोग यह फैसला नहीं कर सका कि पार्टी के संगठन में किस धड़े का बहुमत है तो साइकिल चुनाव चिह्न पर रोक लग सकती है.

 समाजवादी पार्टी (सपा) के दोनों धड़ों के बीच अपने चुनाव निशान की लड़ाई चुनाव आयोग की अदालत में अहम पड़ाव पर पहुंचने के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अगुवाई वाला धड़ा इस बात के लिये आश्वस्त है कि ‘साइकिल’ उसे ही मिलेगी और आगामी विधानसभा चुनाव के बाद स्पष्ट बहुमत भी.

अखिलेश द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वी एवं चाचा शिवपाल यादव को हटाकर सपा प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये नरेश उत्तम पटेल ने संवाददाताओं से कहा कि सपा का चुनाव चिहन साइकिल अखिलेश का है और चुनाव आयोग कानून की परिधि में इसे अखिलेश को ही देगा, ऐसा हमारा विश्वास है.

यह पूछे जाने पर कि सपा परिवार में जारी जंग की वजह से चुनाव प्रचार का कार्य ठप हो गया है, पटेल ने कहा ‘मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिछले पौने पांच साल के दौरान जनकल्याण के इतने कार्य किये हैं जिनका प्रचार-प्रसार सपा का हर सिपाही कर रहा है.’

उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि सपा मुख्यमंत्री की लोकप्रियता और जनकल्याणकारी कार्यों की बदौलत एक बार फिर पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आयेगी और अखिलेश एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे. चुनाव में हम विकास के मुद्दे के साथ ही जनता के बीच जाएंगे.

‘समाजवादी परिवार’ में जारी झगड़े के बारे में पूछे जाने पर पटेल ने कहा ‘पिता (मुलायम सिंह यादव) और पुत्र (अखिलेश) एक-दूसरे के साथ हैं. हम अखिलेश के चेहरे पर चुनाव लड़ेंगे और नेताजी (मुलायम) हमारा मार्गदर्शन करेंगे. वह ना सिर्फ पिता बल्कि हमारे नेता भी हैं.’

सपा में चुनाव निशान को लेकर हो रहे ‘दंगल’ के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कल मंत्रियों, विधायकों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात करके उन्हें निर्वाचन आयोग में जारी कानूनी लड़ाई की फिक्र किये बगैर चुनाव की तैयारियों में जुट जाने के निर्देश दिये थे.

सपा के विवादित अधिवेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने के बाद पैदा सूरतेहाल में पार्टी के चुनाव निशान ‘साइकिल’ पर दावे को लेकर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव दिल्ली में हैं. लोकदल ने मुलायम को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपने चुनाव चिहन की पेशकश की.पार्टी ने कहा कि यदि चुनाव आयोग सपा में जारी घमासान के कारण उसके चुनाव चिहन ‘साइकिल’ पर रोक लगा देती है तो उसे लोकदल के चिहन पर चुनाव लड़ना चाहिए.

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह का कहना है कि विवाद के कारण ‘साइकिल’ चुनाव निशान के फ्रीज होने की स्थिति में मुलायम को लोकदल के चुनाव चिहन (खेत में हल चलाता किसान) पर चुनाव लड़ना चाहिये.

मालूम हो कि गत एक जनवरी को सपा के विवादित राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था, जबकि मुलायम को पार्टी का ‘सर्वोच्च रहनुमा’ का पद दिया गया था.

इसके अलावा सपा महासचिव अमर सिंह को पार्टी से निष्कासित करने तथा शिवपाल को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का निर्णय भी किया गया था. मुलायम ने इस सम्मेलन को असंवैधानिक घोषित करते हुए इसमें लिये गये तमाम फैसलों को अवैध ठहराया था.

चुनाव आयोग ने पार्टी के चुनाव चिहन ‘साइकिल’ पर सपा के दोनों गुटों द्वारा दायर प्रतिवेदन पर सुनवाई की तारीख 13 जनवरी नियत की है. माना जा रहा है कि जिस गुट के पास 51 प्रतिशत विधायकों तथा अन्य जनप्रतिनिधियों का समर्थन होगा, उसका पलड़ा भारी रहेगा.


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