भारत में प्रेस की स्वतंत्रता दो पायदान नीचे लुढ़की

जलज वर्मा

 |  22 Apr 2020 |   53
Culttoday

दुनिया भर में प्रेस स्वंतत्रता की स्वतंत्रता को लेकर हर साल एक सूची जारी होती है, जिसमें हर देश में प्रेस की स्वतंत्रता को समीक्षा कर उसकी रैंकिंग की जाती है. वर्ष 2020 की सूची भी जारी हुई है और भारत दो पायदान नीचे सरका है. 180 देशों के समूह में नार्वे चौथी बार पहले स्थान पर है तो वहीं सबसे अंतिम पायदान पर अर्थात 180वें स्थान पर उत्तर कोरिया है तो वहीं 177वें स्थान पर चीन है. जबकि भारत का स्थान 142 वां है, पिछले साल भारत 140वें नंबर था. तब वर्ष 2018 में देश में छह पत्रकारों की हत्या भी हुई थी, लेकिन उसके बाद से देश में किसी पत्रकार की हत्या नहीं हुई है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में लगातार स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया है, जिनमें पत्रकारों के खिलाफ पुलिसिया हिंसा, राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर हमला, बदमाशों एवं भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों द्वारा बदले में हिंसा आदि शामिल हैं.’ रिपोर्ट ने दो पायदान की गिरावट का कारण भारत की राष्ट्रवादी सरकार का मीडिया पर बनाया गया दबाव बताया गया है. सोशल मीडिया पर उन पत्रकारों के ख़िलाफ़ सुनियोजित तरीक़े से घृणा फैलाई गई, जिन्होंने कुछ ऐसा लिखा या बोला था जो राष्ट्रवाद समर्थकों को नागवार गुज़रा.

पेरिस स्थित रिपोर्टर्स सैन्स फ्रन्टियर्स (आरएसएफ़) यानी रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स एक नॉन-प्रॉफ़िट संगठन है जो दुनियाभर के पत्रकारों और पत्रकारिता पर होने वाले हमलों को डॉक्यूमेंट करने और उनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का काम करता है.

हालांकि दूसरे नंबर पर फिनलैंड, तीसरे पर डेनमार्क, 11वें पर जर्मनी, 34वें पर फ्रांस, 35वें पर यूके, 45वें पर अमेरिका, 66वें पर जापान और 107वें पर ब्राजील है.

रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर में उत्पन्न हुई स्थिति की वजह से भारत की रैकिंग पर काफी प्रभाव पड़ा है. पिछले साल पांच अगस्त को केंद्र सरकार ने अपने एक बेहद अप्रत्याशित फैसले में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म कर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था. इसके चलते राज्य में कई तरह के कठोर प्रतिबंध लगा दिए गए थे, जिसकी वजह से पत्रकारों को खबरें करते हुए कठोर मुश्किलों का सामना करना पड़ा. संयोगवश ये रिपोर्ट ऐसे समय पर आई है जब हाल ही जम्मू कश्मीर पुलिस ने कश्मीर के दो पत्रकारों पर कठोर यूएपीए कानून के तहत मामला दर्ज किया है.

आमतौर पर दक्षिण एशिया इस सूचकांक में बुरे स्तर पर ही रहा है. एक ओर जहां भारत दो पायदान खिसककर 142वें नंबर पर पहुंच गया है वहीं पाकिस्तान तीन पायदान नीचे पहुंच गया है. तीन स्थान के नुक़सान के साथ ही पाकिस्तान 145वें स्थान पर आ गया है. बांग्लादेश को भी एक स्थान का नुक़सान हुआ है और बांग्लादेश सूची में 151वें स्थान पर है.


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