केंद्र सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए तय सीमा से अधिक पैसे निकालने पर ‘कैश टैक्स’ लगा सकती है. बड़े कैश लेन-देन को हतोत्साहित करने के उपायों पर भी बातचीत हो रही है और इस प्रस्ताव को बजट में लाया जा सकता है.
बताया जा रहा है कि बैंक अकाउंट से तय सीमा से अधिक कैश निकालने पर यह टैक्स लगेगा. हालांकि, यह कितना होगा, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. इस पर आखिरी फैसला प्रधानमंत्री और उनके मंत्री लेंगे.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए सरकार नया टैक्स लगाने पर विचार कर रही है. सरकार ने 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपए के नोटबंद करने के बाद से डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं.
एक अधिकारी के मुताबिक कैश टैक्स पर अभी विमर्श हो रहा है. बजट के साथ इसका ऐलान होने की संभावना है. बताया जा रहा है कि इससे बैंकों की करेंसी ऑपरेशन की लागत में कमी आएगी और सरकार को मिलने वाले टैक्स में बढ़ोतरी होगी.
गौरतबल है कि जनवरी 2015 में ‘कॉस्ट ऑफ कैश इन इंडिया’ नाम से मास्टरकार्ड की तरफ से यह एक एजेंसी ने यह अध्ययन किया गया था. इसमें दावा किया गया था कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और बैंकों के सालाना करेंसी ऑपरेशन की लागत 21 हजार करोड़ रुपए है.
नोटबंदी के बाद सरकार की तरफ से कहा गया है कि करंसी की कॉस्ट कम होने से अर्थव्यवस्था को फायदा होगा. सरकार का यह भी कहना है कि डिजिटल पेमेंट बढ़ने से टैक्स चोरी भी कम होगी.